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- C First Program - सी में पहला प्रोग्राम
जैसे कि कोई भी नई भाषा सीखते समय, आरंभ करने का स्थान क्लासिक (classic) "हैलो वर्ल्ड!" प्रोग्राम होता है। For Example; #include int main() { printf("Hello, World! \n"); return 0; } आइए प्रत्येक पंक्ति को समझने के लिए कोड को तोड़कर समझते हैं; # include #include आउटपुट उत्पन्न करने के लिए उपयोग किए जाने वाले फ़ंक्शन को stdio.h में परिभाषित किया गया है। stdio.h इसका पूरा नाम standard input output header file होता हैं। Header File printf फ़ंक्शन का उपयोग करने के लिए, हमें पहले आवश्यक फ़ाइल को शामिल करना होगा, जिसे header (हेडर) फ़ाइल भी कहा जाता है। int main( ) int main ( ), जो main ( ) फ़ंक्शन किसी प्रोग्राम का प्रवेश बिंदु होता है। यहां से हमारा कोड लिखना प्रारम्भ करते हैं। { } Curly Brackets Curly Brackets { } किसी फ़ंक्शन की शुरुआत और अंत को इंगित करते हैं ( जिसे कोड ब्लॉक [code block] भी कहा जाता है )। कोष्ठक (Brackets) के अंदर दिए गए कथन यह निर्धारित करते हैं (determines) कि क्रियान्वित होने पर फ़ंक्शन क्या करता है। printf Function printf फ़ंक्शन (function) का उपयोग डिस्प्ले स्क्रीन पर आउटपुट उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। "Hello, World! \n" यहां, हम "Hello, world!" टेक्स्ट पास करते हैं। हम जो भी टेक्स्ट स्क्रीन पर डिसप्ले कराना चाहते हैं, जिसे हम डबल कोट्स (" ") के अंदर लिखते हैं। इसके लिए हम \n एस्केप सीक्वेंस (escape sequence) एक न्यूलाइन कैरेक्टर को आउटपुट करता है। एस्केप सीक्वेंस हमेशा बैकस्लैश \ से शुरू होते हैं। ; Semicolon अर्धविराम ; (semicolon) कथन के अंत को इंगित करता है। प्रत्येक कथन अर्धविराम (;) के साथ समाप्त होना चाहिए। return 0; return 0; यह कथन main( ) फ़ंक्शन को समाप्त करता है और कॉलिंग प्रक्रिया में मान 0 देता है। संख्या 0 का आम तौर पर मतलब है कि हमारे कार्यक्रम को सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया है। कोई अन्य संख्या इंगित करती है कि कार्यक्रम विफल (failed) हो गया है। ! अब कोड को चलाएँ और देखें कि यह कैसे काम करता है! How "Hello, World!" Program Works? ( "Hello, World!" प्रोग्राम कैसे कार्य करता हैं?) ✧ #include एक प्रिप्रोसेसर कमांड होता हैं जो कंपाइलर को प्रोग्राम में stdio.h मानक इनपुट और आउटपुट फ़ाइल की सामग्री को शामिल करने के लिए कहता हैं। ✧ stdio.h फाइल में क्रमश: इनपुट लेने और आउटपुट प्रदर्शित करने के लिए scanf( ) और printf( ) जैसे फंक्शंस का उपयोग किया जाता हैं। ✧ यदि आप #include लिखें बिना printf( ) फंक्शन का उपयोग करते हैं, तो आपका प्रोग्राम संकलित (कंपाइल) नहीं होगा। ✧ सी प्रोग्रामिंग भाषा में प्रोग्राम का निष्पादन (एक्जिक्यूशन) main( ) फंक्शन से ही शुरु होता हैं। ✧ printf( ) स्क्रीन पर स्वरूपित (formatted) आउटपुट भेजने के लिए एक लाइब्रेरी फंक्शन होता हैं। इस प्रोग्राम में, printf( ) Hello, World! टेक्स्ट को स्क्रीन पर प्रदर्शित करता हैं। ✧ return 0; स्टेटमेंट प्रोग्राम की "Exit Status" होता हैं। सरल शब्दों में, इस स्टेटमेंट के साथ प्रोग्राम समाप्त होता हैं।
- What Is C Character Set? - सी में कैरेक्टर सेट क्या होता हैं?
एक Character सेट एक वर्णमाला (Alphabet) का सेट हैं। यह अक्षरों (Letter) और कुछ विशेष वर्णों (Special Character) का एक समूह हैं, जो C भाषा में मान्य हैं। ✧ Alphabets Uppercase: A B C ................................... X Y Z Lowercase: a b c ................................... x y z C लोअरकेस और अपरकेस अक्षर दोनों को चर (वेरिएबल) और फंक्शन (functions) के रुप में स्वीकार करता हैं। ✧ Digits 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 ✧ Special Character - Symbols ( विशेष कैरेक्टर - प्रतिक ) ➜ + (Plus Sign) ➜ - (Minus Sign) ➜ < (Opening angle brackets or less than sign) ➜ > (Closing angle brackets or greater than sign) ➜ * (Asterisk Or Star) ➜ / ( Forward Slash) ➜ \ (Backslash) ➜ | (Vertical Bar Or Pipe) ➜ , (Comma Or Single Quote) ➜ ( (Open Parenthesis Or Open Round Bracket) ➜ ) (Close Parenthesis Or Close Round Bracket) ➜ . (Period Or Dot Or Full Stop) ➜ [ (Open Bracket Or Left Bracket) ➜ ] (Close Bracket Or Right Bracket) ➜ : (Colon) ➜ ; (Semicolon) ➜ { (Open Curly Brace) ➜ } (Close Curly Brace) ➜ # (Hash Sign) ➜ ' (Apostrophe Or Back Quote) ➜ " (Quotations Mark) ➜ ! (Exclamation Mark Or Exclamation Point) ➜ ~ (Tilde) ➜ & (Ampersand Or And) ➜ ? (Question Mark) ➜ _ (Underscore) ➜ % (Percent Sign) ➜ $ (Dollar Sign) ➜ ^ (Caret Or Circumflex) ➜ ¡ (Varticar Bar) ✧ White Space Character ( वाइट स्पेस कैरेक्टर ) \b - Blank Space \n - Newline \v - Vertical Tab \t - Horizontal Tab \r - carriage return \f - Form Feed \a - audible alert
- Introduction Of C Programming Language - सी प्रोग्रामिंग भाषा का परिचय
हम एक बहुत उपयोगी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज से परिचित होने जा रहे हैं, जिसे C लेंग्वेज के नाम से जाना जाता है। यह लेंग्वेज दुनिया भर के सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित कर रही है, क्योंकि सॉफ्टवेयर उद्योग में इस लेंग्वेज का उपयोग करने के कई लाभ हैं। इसकी लोकप्रियता का एक कारण, इसकी वहनियता ( पॉर्टेबिलिटी ) है। C लेंग्वेज में लिखा गया प्रोग्राम, आसानी से एक कम्प्यूटर से दूसरे पर कम-से-कम परिवर्तनों अथवा बिना परिवर्तनों के साथ स्थानांतरित हो सकता है। साथ ही C लेंग्वेज में लिखा गया प्रोग्राम तेजी से एक्जिक्यूट होने के कारण प्रभावी होता है। ये गुण C को उच्च प्रतियोगिता वाले सॉफ्टवेयर उद्योग में एक बेहतर लेंग्वेज बनाते हैं। C एक सामान्य प्रयोजन वाली प्रोग्रामिंग भाषा है (General Purpose Programming Language) , जो लगभग 50 वर्षों से है। C का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम ( जैसे कि विंडोज और कई अन्य सहित ) से लेकर पायथन इंटरप्रेटर, गिट (Git), ओरेकल डेटाबेस और अन्य जैसे जटिल कार्यक्रमों में सब कुछ लिखने के लिए किया गया है। C की बहुमुखी प्रतिभा (Versatility) डिजाइन द्वारा है। यह एक निम्न-स्तरीय भाषा है, जो सीखने में आसान होते हुए भी मशीनों के काम करने के तरीके से निकटता से संबंधित है। 📝Note:- यह समझना कि कंप्यूटर मेमोरी कैसे काम करती है, C प्रोग्रामिंग भाषा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- Brief History Of C Programming Language - सी प्रोग्रामिंग भाषा का संक्षिप्त इतिहास
जब हम कम्प्यूटर की तकनीकी भाषा में प्रोग्रामिंग को परिभाषित करते हैं तो कहते हैं कि कंप्यूटर को क्रमबद्ध ढंग से दिए जाने वाले निर्देशों का समूह प्रोग्रामिंग कहलाता है। 'C' कम्प्यूटर की प्रसिद्ध भाषा है। C भाषा को पूर्व में 'Basic Combined Programming Language' (BCPL) भी कहा जाता था। Cambridge University And Bell Laboratories AT & T बेल प्रयोगशाला अमेरिका में सन् 1972 में C नामक भाषा का विकास किया गया। इस भाषा की रचना डेनिस रिची नामक वैज्ञानिक ने की थी। C भाषा का प्रचलन इसके पूर्व की भाषा की तुलना में अधिक रहा। C भाषा के पूर्व B भाषा का विकास सन् 1960 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुआ और B भाषा पर संशोधन का डेनिस रिची ने Bell Laboratories में C नामक भाषा का विकास किया। Operating System C भाषा Unix Operating System के साथ बनाई गई अथवा Unix Operating System का निर्माण C भाषा में किया गया। C भाषा का प्रयोग शैक्षिक संस्थानों में अधिक होता है, परन्तु इसका निर्माण वयस्कों के लिए किया गया है। वर्तमान में C भाषा से कई Operating System लिखा जाता है, जिसमें Microsoft Disk Operating System भी शामिल हैं। (MS-DOS) Use of other languages before C languages C भाषा के पहले चार भाषाओं का प्रयोग हो गया था जिनके विवरण निम्नलिखित हैं- 1. ALGOL नामक भाषा का विकास सन् 1960 में International community द्वारा हुआ। 2. CPL नामक भाषा का विकास सन् 1963 में Cambridge University द्वारा हुआ। 3. BPCL नामक भाषा का विकास सन् 1967 में Cambridge University में मार्टिन रिचर्ड ने किया। 4. सन 1970 में AT & T प्रयोगशाला में केनथॉमसन के द्वारा B नामक भाषा का विकास किया गया। 5. सन् 1972 में AT & T प्रयोगशाला में ही डेनिस रिची (Dennis Ritchie) द्वारा C नामक भाषा का विकास हुआ। Ultimate Computing Or Structured Language C भाषा को प्रोग्रामर अल्टीमेट कम्प्यूटिंग भाषा ( Programmer Ultimate Computing Language) का दर्जा देते हैं और इसे स्ट्रक्चरड प्रोग्रामिंग भाषा भी कहा जाता हैं। Compilers Use In C इस समय C भाषा के संदर्भ में दो कंपाइलरों का प्रयोग हो रहा हैं। एक को Turbo C और दुसरे को Microsoft C कंपाइल के नाम से जाना जाता हैं।
- Historical development of C - सी का ऐतिहासिक विकास
सी प्रोग्रामिंग भाषा पहले 1970 में Bell Laboratories में सिस्टम प्रोग्रामर, Dennis Ritchie द्वारा विकसित की गई थी। यह वास्तव मे, एक ऑपरेटिंग सिस्टम, यूनिक्स (Unix) के तहत प्रोग्रामिंग के लिए लिखी गई थीं, जिसे बाद में C में ही पुन: लिखा गया था। ऐसी स्थिति में, आप आश्चर्य करेंगे कि क्यों एक लैंग्वेज को एक गुप्त नाम C दिया गया हैं, क्योंकि यह Bell Laboratories सिस्टम के इंजीनियर, Ken Thompson द्वारा लिखें गए प्रारंभिक वर्णन पर आधारित हैं। उन्होंने इस वर्णन को BCPL के नाम से प्रसिद्ध एक लैंग्वेज के तैयार किया था। BCPL से तात्पर्य बेसिक कम्बाइंड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज हैं। BCPL से अपने संस्करण (वर्जन) को पृथक करने के लिए Thompson ने इसे B नाम दिया, अर्थात BCPL का पहला अक्षर। जब लैंग्वेज को उसकी वर्तमान स्थिति से संशोधित कर नया संस्करण (वर्जन) तैयार किया गया। तब BCPL के दुसरे अक्षर C के आधार पर इस नए संस्करण (वर्जन) का नाम C रखा गया। यह एक संयोग ही था कि अक्षर B और C वर्णमाला में एक क्रम में आते हैं।
- System Development & Implementation - प्रणाली विकास और कार्यान्वयन
इस पोस्ट में आप जानेंगे कि आप सिस्टम को तैयार करने की कम्पलीट प्रोसेस के साथ-साथ प्रोग्राम के इम्प्लीमेंटेशन (कार्यान्वयन) और उन पैर किये जाने वाले ऑपरेशन्स (यानि कि रख-रखाव तथा इन्हैंसमेंट्स), उनके टेस्टिंग मतलब कि परीक्षण और सिस्टमस के सभी सम्पूर्ण डॉक्यूमेंटेशन के बारे में अध्ययन करेंगे। Basic Introduction ( मूल परिचय ) एक सिस्टम (S/W), जिसको तैयार किया जाना होता हैं। यह कुछ निश्चित स्टेप्स से होकर पूरा होता हैं। विश्लेषक (Analyst) को क्रमबद्ध रूप से एक चरण के बाद हम दूसरे चरण की ओर प्रगति करते हुए, प्रत्येक क्रम पर प्रश्नो के उत्तर देकर, प्रत्येक चरण (stage) पर हमें परिणाम प्राप्त करना चाहिए। System Development Life Cycle - SDLC (प्रणाली विकास जीवन चक्र) सूचना प्रणाली विकास प्रयोजना (Information System Development Project) के संचालन, सुचना प्रणाली को बनाये रखने और सूचना प्रणाली को बदलने के लिए एक पारम्परिक पद्धति को प्रणाली विकास जीवन चक्र (SDLC) कहा जाता हैं। यानि कि संरचित विश्लेषण (Structured Analysis) सिस्टम विकास प्रक्रिया की योजना (plan) और प्रबंधन (manager ) के लिए इस तकनीक उपयोग किया जाता हैं। SDLC उन गतिविधियों और कार्यों का वर्णन करता हैं, जो सिस्टम डेवेलपर्स आमतौर पर करते हैं, भले ही वे गतिविधियों और किसी विशेष पद्धति कार्य में कैसे फिट हों या किस तरह उपयोगी होंगी। What Is SDLC? (एसडीएलसी क्या हैं?) SDLC का पूरा नाम System Development Life Cycle होता हैं। SDLC एक सूचना प्रणाली (Information System) के जीवन चक्र की व्याख्या करता हैं। डेटाबेस डिज़ाइन SDLC का एक मूलभूत घटक होता हैं। किसी भी सिस्टम को बनाने में जो प्रक्रिया होती हैं, उस प्रक्रिया को सिस्टम डेवलपमेंट लाइफ साईकल (SDLC) कहते हैं। SDCL मॉडल में निम्लिखित चरण शामिल होते हैं, जो इस प्रकार निचे दिए गए हैं; System Planning ( सिस्टम योजन ) Feasibility Study ( फिजीबिलिटी अध्ययन ) Systems Analysis ( सिस्टम विश्लेषण ) Systems Design ( सिस्टम डिज़ाइन ) Systems Implementation ( सिस्टम कार्यान्वयन ) System Operation & Support ( सिस्टम संचालन और समर्थन ) Stage: 01 | System Planning ( सिस्टम योजन ) सिस्टम प्लानिंग आमतौर पर आईटी विभाग ( IT Department ) के औपचारिक अनुरोध के साथ शुरू होती है, जिसे सिस्टम अनुरोध ( System Request ) कहा जाता है। जो किसी सूचना प्रणाली ( Information System ) या व्यावसायिक प्रक्रिया में समस्याओं या वांछित परिवर्तनों का वर्णन करता है। आज कई कंपनियों में, आईटी सिस्टम ( IT System ) प्लानिंग समग्र बिजनेस प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब प्रबंधक और उपयोगकर्ता रणनीतिक, सामरिक और परिचालन योजनाएं विकसित करते हैं, तो उनमें IT आवश्यकताएं शामिल होती हैं जो बाद में सिस्टम अनुरोध उत्पन्न करती हैं। A System Request ( एक सिस्टम अनुरोध ) एक सिस्टम अनुरोध एक टॉप मैनेजर, एक योजना टीम, एक विभाग प्रमुख, आईटी विभाग से ही आ सकता है। अनुरोध बहुत महत्वपूर्ण या अपेक्षाकृत मामूली हो सकता है। एक प्रमुख अनुरोध में एक नई इनफार्मेशन सिस्टम या मौजूदा सिस्टम का प्रतिस्थापन शामिल हो सकता है जो वर्तमान आवश्यकताओं को संभाल नहीं सकता है। इसके विपरीत, एक मामूली अनुरोध यूजर इंटरफेस में बदलाव की एक नई सुविधा के लिए कह सकता है। Purpose Of The Planning Phase ( योजना चरण का उद्देश्य ) नियोजन चरण का उद्देश्य एक प्रारंभिक जांच करके व्यवसाय के अवसर या समस्या की प्रकृति और दायरे की स्पष्ट रूप से पहचान करना है, जिसे अक्सर व्यवहार्यता अध्ययन ( Feasibility Study ) कहा जाता है। The Preliminary Investigation ( प्रारंभिक जांच ) प्रारंभिक जांच एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि परिणाम (outcome) संपूर्ण विकास प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। अंतिम प्रोडक्ट, या प्रदेय योग्य ( Deliverable ), एक रिपोर्ट है जो व्यावसायिक विचारों का वर्णन करती है, प्रत्याशित (anticipated) लाभों और आधारों की समीक्षा करती है और आर्थिक, तकनीकी और परिचालन तथ्यों (operational factors) के आधार पर कार्रवाई की सिफारिश करती है। Phases: 02 | Feasibility Study ( फिजीबिलिटी अध्ययन ) प्रदर्शन और कार्य आवश्यकताओं को पूरा करने वाली सर्वोत्तम प्रणाली का चयन करने के लिए एक फिजीबिलिटी अध्ययन किया जाता है। अधिकांश संगठन यह निर्धारित करने के लिए फिजीबिलिटी अध्ययन करते हैं कि समस्या का समाधान संभव है या नहीं। फिजीबिलिटी अध्ययन के निष्कर्ष आमतौर पर एक लिखित रिपोर्ट में होते हैं और इस रिपोर्ट में प्रारंभिक विनिर्देश या प्रारंभिक निर्दिष्टीकरण ( Preliminary Specifications ) और प्रस्तावित प्रणाली के लिए एक विकास योजना शामिल होती है। अब यह रिपोर्ट शीर्ष स्तर के प्रबंधन को मंजूरी ( Approval ) के लिए दी जाती हैं। वास्तव में अंतिम और फिजीबिलिटी अध्ययन वैकल्पिक प्रणाली का मूल्यांकन करना और प्रणाली के विकास के लिए सबसे अधिक व्यवहार्य और वर्णन करना है। फिजीबिलिटी अध्ययन के तीन प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं; Economic Feasibility ( आर्थिक फिजीबिलिटी ) Technical Feasibility ( तकनीकी फिजीबिलिटी ) Behavioral Feasibility ( व्यवहारिक फिजीबिलिटी ) Type: 01}. Economic Feasibility ( आर्थिक फिजीबिलिटी ) एक उम्मीदवार प्रणाली ( Candidate System ) का मूल्यांकन आर्थिक आधार पर किया जाता है। अधिक सामान्यतः लागत / लाभ ( Cost / Benefits ) विश्लेषण के रूप में जाना जाता है, प्रक्रिया एक उम्मीदवार प्रणाली से अपेक्षित लाभों और बचतों को निर्धारित करने और लागतों के साथ उनकी तुलना करने के लिए होती है। यदि लाभ लागत ( Costs ) से अधिक हैं, तो प्रणाली को डिजाइन और कार्यान्वित करने का निर्णय लिया जाता है। अन्यथा इसे आगे के औचित्य या परिवर्तन ( Justification Or Alteration ) के लिए अनुशंसित किया जाता है। Type: 02}. Technical Feasibility ( तकनीकी फिजीबिलिटी ) उम्मीदवार प्रणाली ( Candidate System ) की तकनीकी आवश्यकताओं जैसे कि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर आदि पर विचार-विमर्श किया जाता है। Type: 03}. Behavioral Feasibility ( व्यवहारिक फिजीबिलिटी ) जैसा कि हम जानते हैं कि लोगों की तार्किक प्रवृत्ति ( Logical Tendency ) परिवर्तन का विरोध ( Resist ) करने की होती है और कंप्यूटर परिवर्तन को सुविधाजनक ( Facilitate ) बनाने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए, यह समझ में आता है कि एक उम्मीदवार प्रणाली की शुरूआत के लिए कर्मचारियों ( Staff ) को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए विशेष प्रभाव ( Special Effect ) की आवश्यकता होती है। Example To Understand ( उदाहरण समझने के लिए ) मान लीजिए कि हम एक सिस्टम एनालिस्ट हैं और हमें सिस्टम में बदलाव या सुधार के लिए एक अनुरोध प्राप्त होता है। हमारा पहला कदम यह निर्धारित करना है कि प्रारंभिक जांच शुरू करने के लिए यह समझ में आता है या नहीं। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अक्सर हमें व्यवसाय संचालन के बारे में अधिक जानने की आवश्यकता होगी। एक जांच के बाद, हम पा सकते हैं कि और अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। कुछ स्थितियों में, हम IT समाधान के बजाय व्यवसाय प्रक्रिया समीक्षा ( Business Process Review ) की अनुशंसा कर सकते हैं। अन्य मामलों में, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि एक पूर्ण पैमाने पर सिस्टम समीक्षा ( Full-Scale System Review ) आवश्यक है। यह विकास प्रक्रिया जारी रहती हैं, अगला कदम सिस्टम विश्लेषण होती है। Phases: 02 | Systems Analysis ( सिस्टम विश्लेषण ) सिस्टम विश्लेषण ( System Analysis ) चरण का उद्देश्य व्यावसायिक आवश्यकताओं को समझना और नई प्रणाली का तार्किक मॉडल ( Logical Model ) बनाना होता है। First Step :- पहला कदम आवश्यकता मॉडलिंग ( Requirement Modelling ) है, जहां हम व्यावसायिक प्रक्रियाओं को परिभाषित और वर्णन करते हैं। आवश्यकताएं मॉडलिंग उस जांच को जारी रखती है जो सिस्टम नियोजन के दौरान शुरू हुई और इसमें विभिन्न तथ्य-निर्धारण तकनीक शामिल हैं, जैसे साक्षात्कार, सर्वेक्षण, अवलोकन और साहित्य तथा रूपों की समीक्षा शामिल होती हैं। Second Step :- अगले कार्य के द्वितीय चरण दौरान, डेटा मॉडलिंग ( Data Modelling ), प्रक्रिया मॉडलिंग ( Process Modelling ) और ऑब्जेक्ट मॉडलिंग ( Object Modelling ) को लिया जाता हैं। हम व्यावसायिक प्रक्रियाओं का एक तार्किक मॉडल विकसित करते हैं. जिसे सिस्टम को समर्थन देना चाहिए। उपयोग की जाने वाली कार्यप्रणाली ( Methodology ) के आधार पर मॉडल में विभिन्न प्रकार के आरेख ( Diagram ) होते हैं। Third Step :- सिस्टम विश्लेषण चरण के लिए अंतिम उत्पाद सिस्टम आवश्यकता दस्तावेज़ है। सिस्टम आवश्यकता दस्तावेज़ ( System Requirement Document ) प्रबंधन और उपयोगकर्ता आवश्यकताओं, वैकल्पिक योजनाओं और लागतों और हमारी अनुशंसा या सुझावों का वर्णन करता है। Forth Step :- डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए आगे देखते हुए कई संभावनाएं प्रकट या मौजूद होती हैं। जैसे कि एक नई सिस्टम को बनाना या विकसित करना, एक वाणिज्यिक पैकेज खरीदें, या किसी मौजूदा प्रणाली को संशोधित ( Modify ) करें।
- What Is Attributes In Html? – एच टी एम एल में गुण क्या हैं?
इस पोस्ट में आप जानेंगे कि What Is Attributes In Html? – एच टी एम एल में गुण क्या हैं?, इस पोस्ट में मैंने सभी Html Attribute के सभी Basic और Advance Concepts को बहुत ही आसान और सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया हैं। “पढ़ाई के साथ हर प्रक्रिया का आनंद लें।”– Sanju Dhritlahre Table Of Content What Is Attributes? Attribute In Tag Definition Of Attributes ( ऐट्रिब्यूट्स की परिभाषा ) Basic Html Attributes lang Attribute lang Attribute in Country codes href Attribute src Attribute Two Ways To Specify The src Attribute: Absolute URL Relative URL width & hight Attribute alt Attribute Global Attribute Always Use Lowercase Attributes Always Quote Attribute Values Single or Double Quotes? ( एकल और दोहरे उद्धरण ) Conclusion ( निष्कर्ष ) What Is Attributes In Html In Hindi? – एच टी एम एल में गुण क्या हैं? सभी Html तत्वों (Elements) में Attributes हो सकते हैं। Attributes तत्वों (Elements) के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करते हैं। Attributes हमेशा Opening Tag (Start Tag) से ही निर्दिष्ट (Specified) होती हैं। Attributes आमतौर पर Name/Value जोड़े में आते हैं जैसे: name = “value” Attributes In Tag Tag में Attributes हो सकते हैं, जो जानकारी के अतिरिक्त Bits हैं। Attributes शुरुआती Tag के अंदर दिखाई देती हैं और उनके मान उद्धरण चिन्हों ( Quotation Mark ) के अंदर होते हैं। ये कुछ इस तरह दिखते हैं; For Example : Sketchy Knowledges Definition Of Attributes ( ऐट्रिब्यूट्स की परिभाषा ) Attributes तत्वों (Elements) की अतिरिक्त जानकारी, विशेषताओं या गुणों को परिभाषित करती हैं। जैसे; किसी किसी छवि की चौड़ाई और ऊंचाई। Attributes हमेशा प्रारंभ टैग (Start Tag) में निर्दिष्ट होते हैं और आमतौर पर Name/Value जोड़े आते हैं। जैसे; Name =”value” शामिल होते हैं। For Example: HTML उपरोक्त उदाहरण में Tag के अंदर title एक विशेषता हैं। 📝Click This:- What Is Mouse – माउस क्या होता हैं? Basic Html Attributes lang Attribute हमें वेब पेज की भाषा को घोषित करने के लिए हमेशा Tag के अंदर lang Attribute को शामिल करना होता हैं। यह खोज इंजन और ब्राउज़र की सहायता करने के लिए है आवश्यक होता हैं। For Example : ................ निम्नलिखित यह उदाहरण अंग्रेजी को भाषा के रूप में निर्दिष्ट करता है। lang Attribute in Country codes lang Attribute में भाषा कोड में देश कोड भी जोड़े जा सकते हैं। तो, पहले दो अक्षर HTML पृष्ठ की भाषा को परिभाषित करते हैं, और अंतिम दो वर्ण देश को परिभाषित करते हैं। ... निम्नलिखित इस उदाहरण में अंग्रेजी को भाषा के रूप में और भारत को देश के रूप में निर्दिष्ट करता है। href Attribute यह एक Hyperlink हैं, इसके द्वारा Web-Pages को आपस में Link किया जाता हैं। Anchor Tag () हाइपरलिंक को परिभाषित करता है। href Attribute उस पृष्ठ (Page) के URL को निर्दिष्ट करती है जिस पर लिंक जाता है। For Example: Visit sketchy src Attribute HTML पेज में इमेज अंतर्निहित (Embed) करने के लिए Tag का उपयोग किया जाता है। src Attribute प्रदर्शित होने वाली छवि का पाथ (Path) निर्दिष्ट करती है। For Example: Two Ways To Specify The src Attribute: src Attribute में URL निर्दिष्ट करने के दो तरीके हैं: Absolute URL Relative URL 01. Absolute URL किसी अन्य वेबसाइट पर Hosted की गई बाहरी छवि (External Images) के लिंक। For Example : src="https://sketchyknowledges.space/images/sketchy_power.jpg". 02. Relative URL वेबसाइट के भीतर Hosted की गई छवि (Image) के लिंक। यहां, URL में डोमेन नाम शामिल नहीं है। यदि URL बिना स्लैश (/) के शुरू होता है, तो यह वर्तमान पृष्ठ के सापेक्ष होगा। For Example: src="sketchy_power.jpg" यदि URL स्लैश (/) से शुरू होता है, तो यह डोमेन के सापेक्ष होगा। For Example: src="/images/sketchy_power.jpg" 📝Note:- सापेक्ष URL का उपयोग करना लगभग हमेशा सर्वोत्तम होता है। यदि आप डोमेन बदलते हैं तो वे नहीं टूटेंगे। width & hight Attributes Tag में चौड़ाई और ऊंचाई Attributes भी होती हैं। जो छवि (Image) की चौड़ाई और ऊँचाई को निर्दिष्ट करती है। (px में ) आप चित्र की width और height को पिक्सेल (px) या उसके वास्तविक आकार के प्रतिशत (%) के आधार पर भी सेट कर सकते है । For Example : alt Attribute Tag के लिए alt Attribute बहुत ही आवश्यक होता हैं। यह किसी छवि (Image) के लिए एक वैकल्पिक टेक्स्ट निर्दिष्ट ( Specify alternate text ) करती है। यदि किसी कारण से छवि प्रदर्शित नहीं की जा सकती है। यह धीमे कनेक्शन, या src Attribute में त्रुटि के कारण हो सकता है, या यदि उपयोगकर्ता स्क्रीन रीडर का उपयोग करता है। For Example : देखें कि क्या होता है यदि हम एक ऐसी छवि प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं जो मौजूद नहीं है: Output : sketchy is a power of knowledge 📝Click Here:- Html Element – एच टी एम एल के मूलभुत तत्व क्या हैं? Global Attributes ( वैश्विक गुण ) वैश्विक Attributes में सभी Html तत्वों (Elements) के लिए सामान्य Attributes हैं। उनका उपयोग सभी तत्वों (Elements) पर किया जा सकता हैं, हालाँकि कुछ तत्वों (Elements) पर कोई प्रभाव नहीं हो सकता हैं। सामान्य वैश्विक (Global) Attributes id, title, class और style हैं। id Attribute का उपयोग किसी दस्तावेज़ के भीतर किसी तत्व (Elements) को एक अद्वितीय नाम या पहचानकर्ता देने के लिए किया जाता हैं। title Attributes का उपयोग किसी तत्व (Elements) या उसकी सामग्री के बारे में सलाहकार पाठ प्रदान करने के लिए किया जाता हैं। तत्वों (Elements) की पहचान के लिए id Attributes जैसे; class Attributes का उपयोग किया जाता हैं। लेकिन id के विपरीत, दस्तावेज़ में class Attributes का अद्वितीय होना आवश्यक नहीं होता हैं। style Attributes आपको CSS Styling नियम जैसे ; color, font, border आदि निर्दिष्ट करने की अनुमति देती हैं। id Attributes किसी तत्व (Element) के लिए एक अद्वितीय id निर्दिष्ट करता है। id Attribute का उपयोग किसी दस्तावेज़ के भीतर किसी तत्व (Elements) को एक अद्वितीय नाम या पहचानकर्ता देने के लिए किया जाता हैं। इससे CSS या JavaScipt का उपयोग करके Element (तत्व) का चयन (Selection) करना आसान हो जाता हैं। For Example : Good This is my first paragraph. 📝Note:- किसी एक दस्तावेज़ में किसी Element (तत्व) की id अद्वितीय होनी चाहिए। एक ही दस्तावेज़ में दो Elements (तत्वों) को एक ही id से नामित नहीं किया जा सकता हैं। और प्रत्येक Element में केवल एक ही id हो सकती हैं। For Example : Bad This is my first paragraph. This is my second paragraph. Always Use Lowercase Attributes HTML मानक को Lowercase Attribute नामों की आवश्यकता नहीं है। title Attribute ( और अन्य सभी Attribute ) को Uppercase या Lowercase . जैसे title या TITLE के साथ लिखा जा सकता है। W3C HTML में Lowercase Attributes की सिफारिश करता है। XHTML जैसे सख्त दस्तावेज़ प्रकारों के लिए Lowercase Attributes की माँग करता है। My Suggestion : मेरा सुझाव हैं कि आप Lowercase Attributes का ही उपयोग करेंगे। Always Quote Attribute Values HTML मानक को Attribute मानों के आसपास उद्धरणों ( Quotes Value ) की आवश्यकता नहीं होती है। W3C HTML में उद्धरणों (Quotes) की अनुशंसा करता है, और XHTML जैसे कठोर दस्तावेज़ प्रकारों के लिए उद्धरणों (Quotes) की मांग करता है। For Example : Good Visit My HTML tutorial निम्नलिखित इस उदाहरण में Double Quotes का उपयोग किया गया है, जो कि सहीं तरीका हैं। For Example : Bad Visit My HTML tutorial निम्नलिखित इस उदाहरण में Double Quotes का उपयोग नहीं किया गया है, जो कि सहीं तरीका नहीं हैं। Single or Double Quotes? ( एकल और दोहरे उद्धरण ) Attribute मानों के आसपास दोहरे उद्धरण (Double Quote) HTML में सबसे आम हैं, लेकिन एकल उद्धरणों ( Single Quote ) का भी उपयोग किया जा सकता है। कुछ स्थितियों में, जब Attribute मान में ही दोहरे उद्धरण (Double Quote) होते हैं, तो एकल उद्धरणों ( Single Quote ) का उपयोग करना आवश्यक होता है। For Example : My Name For Example : My Name 📝Click This:- Introduction Of Html -एच टी एम एल का परिचय Conclusion ( निष्कर्ष ) सभी HTML तत्वों ( Elements ) में Attributes हो सकती हैं। की href Attribute उस पृष्ठ के URL को निर्दिष्ट करती है जिस पर लिंक जाता है। की src Attribute प्रदर्शित होने वाली छवि का मार्ग (Path) निर्दिष्ट करती है। की width (चौड़ाई) और hight (ऊंचाई) Attribute छवियों के लिए आकार की जानकारी प्रदान करती हैं। की alt Attribute एक छवि के लिए एक वैकल्पिक पाठ प्रदान करती है। style (शैली) Attribute का उपयोग किसी तत्व (Element) में Styles (शैलियों) को जोड़ने के लिए किया जाता है, जैसे कि color, font, size, और बहुत कुछ इसके द्वारा किया जाता हैं। Tag की lang Attribute वेब पेज की भाषा घोषित करती है, जिसमें में हम किसी भी देश की भाषा को निर्दिष्ट कर सकते हैं। title Attribute तत्व (Element) के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी को परिभाषित करती है। 📝Click Here:- Types Of Html Element – एच टी एम एल तत्व के प्रकार उम्मीद करता हूँ कि दोस्तों मेरा यह Html Attribute पर बनी सुन्दर-सा पोस्ट आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई डाउट या सवाल हैं तो निःसंदेह आप मुझसे सवाल कर सकते हैं। मै इसका जवाब देने का प्रयास करूँगा या फिर मै आपके द्वारा पूछे गए सवाल पर एक नया पोस्ट तैयार जरूर करुँगा। और आप किस-किस विषयों पर अपना ज्ञान पाना चाहते हैं , वो आप मुझे Comments करके जरूर बताये।
- What Is Computer Mouse – कंप्यूटर माउस क्या होता हैं?
आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि What Is Mouse – माउस क्या होता हैं?, माउस और उपयोगकर्ता, माउस बटन्स के प्रकार , माउस स्क्रॉल व्हील , माउस मॉडल्स, साधारण माउस, माउस कर्सर, माउस का पूरा नाम अँग्रेजी में, माउस का पूरा नाम हिंदी में, माउस की परिभाषा, माउस का आविष्कार किसने किया?, माउस के कार्य आदि सभी कंप्यूटर माउस से सम्बंधित मैंने सभी विषयो को अच्छे से समझाने का प्रयास किया हैं। “पढ़ाई के साथ हर प्रक्रिया का आनंद लें।” – Sanju Dhritlahre Table Of Content What Is Mouse? – माउस क्या होता हैं? Mouse & Users ( माउस और उपयोगकर्ता ) Types Of Buttons In Mouse ( माउस बटन्स के प्रकार ) Mouse Scroll Wheel ( माउस स्क्रॉल व्हील ) Mouse Models ( माउस मॉडल्स ) Simple Mouse ( साधारण माउस ) Mouse Cursor ( माउस कर्सर ) Full Form Of Mouse In English ( माउस का पूरा नाम अँग्रेजी में ) Full Form Of Mouse In Hindi ( माउस का पूरा नाम हिंदी में ) Definition Of Mouse ( माउस की परिभाषा ) Who invented the mouse? ( माउस का आविष्कार किसने किया? ) Functions Of Mouse ( माउस के कार्य ) Pointing ( पॉइंटिंग ) Selecting ( सेलेक्टिंग ) Clicking ( क्लिकिंग ) Types Of Click In Mouse ( माउस क्लिक करने के प्रकार ) Left Click ( बायां क्लिक ) Single Click Double Click Triple Click Right Click ( दायाँ क्लिक ) Dragging & Dropping : ( खींचना और छोड़ना ) Scrolling : ( सरकाना ) Move Mouse Cursor ( माउस कर्सर ले जाएँ ) Open Or Execute A Program ( एक प्रोग्राम खोलें या निष्पादित करें ) Hover ( हॉवर ) Editing ( एडिटिंग ) What Is Mouse In Hindi ? ( माउस क्या होता हैं हिंदी में ? ) वर्तमान समय में Mouse सर्वाधिक प्रचलित Pointer Device है, जिसका प्रयोग चित्र या Graphics बनाने के साथ-साथ किसी Buttons या Menu पर क्लिक करने के लिए किया जाता है, इसकी सहायता से हम Keyboard का प्रयोग अपने पीसी को नियंत्रित कर सकते हैं। Mouse एक कंप्यूटर Hardware है, जिसे हम एक Input Device और Pointing Device भी कहते हैं, जिसका इस्तेमाल पीसी के साथ Intract करने के लिए किया जाता है। जो कंप्यूटर के Display Screen के Pointer या Cursor के Movement को Control करता है, जिसकेजरिए Cursor/Pointer को कंप्यूटर Screen पर किसी भी दिशा में ले जाया जा सकता है। इस Pointer के जरिए हम कंप्यूटर के अंदर Files, Folders, Icons ( Software & Applications ) और दूसरे सभी Options को Open और Close करने, एक जगह से दुसरे जगह ले जाने, उनकी जानकारी लेने में इस्तेमाल करते हैं। इन सभी कामों की वजह से इसे Pointing Device कहते हैं। 👉Click This:- Introduction Of Computer – कंप्यूटर का परिचय Mouse & Users ( माउस और उपयोगकर्ता ) Mouse के इस्तेमाल द्वारा उपयोग कर्ता ( User ) कंप्यूटर को कोई भी कार्य करने के लिए निर्देश ( Instructions ) देता है कि क्या काम करना है, इसके द्वारा एक User कंप्यूटर Screen पर कहीं भी पहुंच सकता है। इस तरह ये User और Computer के बीच एक Interface की तरह काम करता है। Types Of Buttons In Mouse ( माउस बटन्स के प्रकार ) एक साधारण Mouse में दो Buttons होते हैं, जिसे क्रमशः Primary Buttons (Left Button) तथा Secondry Button ʙᴜᴛᴛᴏɴ (Right Button) के नाम से जाना जाता है, इनको आम भाषा में Right Click एवं Left Click कहते हैं और एक Scroll Wheel होता है, जिसे चकरी भी कहते हैं। आधुनिक Mouse में तो अब तीन से ज्यादा Buttons आने लगे हैं, जिनका अलग कार्य होता है। 👉Click Here:- Fundamental Of Computer – कंप्यूटर के मूल सिद्धांत Mouse Scroll Wheel ( माउस स्क्रॉल व्हील ) Scroll Wheel का इस्तेमाल करके आप किसी भी Document, Page या Website को Scroll कर सकते हैं। कुछ कम्प्यूटर Mouse में इन बटनों के अलावा Extra Features के लिए अतिरिक्त Button दिए जाते हैं। Mouse Models ( माउस मॉडल्स ) Mouse के अलग-अलग Models होते हैं, जिनमें की अलग – अलग Features और Connectivity होते हैं, लेकिन प्राय: सभी Models में दो Mouse Button और एक Scroll Wheel होता है। Simple Mouse ( साधारण माउस ) साधारण कंप्यूटर Mouse आमतौर पर वास्तविक Mouse की तरह नजर आता है। यह छोटा तथा आयताकार होता है। Mouse आज कंप्यूटर में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला Device है, इसे कम्प्यूटर के साथ Cable और Wirless तरीके से जोड़ा जाता है। Mouse Cursor ( माउस कर्सर ) Mouse की सहायता से आप कम्प्यूटर में दिखाई देने वाले तीर के Icon जिसे Cursor कहते हैं, को Move कर सकते हैं तथा कम्प्यूटर में दिखाई देने वाले किसी भी Button और Menu पर आसानी से Click कर सकते हैं। Full Form Of Mouse In English ( माउस का पूरा नाम अँग्रेजी में ) M – Manually O – Operated U – Utility For S – Selecting E – Equipment “Manually Operated Utility For Selecting Equipment.” Full Form Of Computer In Hindi ( माउस का पूरा नाम हिंदी में ) एम [M] – मैन्युअल ओ [O] – संचालित यू [U] – उपयोगिता फॉर [For] – के लिए एस [S] – चुनना / चयन इ [E] – उपकरण “उपकरण के चयन के लिए मैन्युअल रूप से संचारित उपयोगिता” Definition Of Mouse ( माउस की परिभाषा ) Mouse एक Pointing Device है, जो सतह के सापेक्ष गति का पता लगाकर X-Y दिशा के आधार पर काम करता है। Pointer की गति के कारण, यह उपयोगकर्ता (User) को कंप्यूटर के Interface को नियंत्रित और Navigate करने की अनुमति देता है। इसकी मदद से Display Screen पर Point, Select, Click, Drag Drop और Scroll किया जा सकता है। 📝Note:- Mouse को “Pointer” के नाम से भी पुकारा जाता है। 👉Click Here :- Generation Of Computer – कंप्यूटर की पीढियां Who invented the mouse? ( माउस का आविष्कार किसने किया? ) Mouse को Originally X-Y Position Indicator कहा जाता है, जिसे की Display System में इस्तेमाल किया जाता है। सन् 1963 ईस्वी में 𝐃𝐨𝐮𝐠𝐥𝐚𝐬 𝐂𝐚𝐫𝐭 𝐄𝐧𝐠𝐞𝐥𝐛𝐞𝐫𝐭 (𝟏𝟗𝟐𝟓 𝐭𝐨 𝟐𝟎𝟏𝟑) ने किया था। यह एक American Engineer और Inventor थे तथा Stanford Research Institute में एक शोध कर्ता थे। 𝐃𝐨𝐮𝐠𝐥𝐚𝐬 𝐄𝐧𝐠𝐞𝐥𝐛𝐞𝐫𝐭 ने पहला कम्प्यूटर Mouse बनाया, शुरुआत में इसे X-Y Position Indicator कहा गया, जिसे इस्तेमाल करने के लिए दोनों हाथों को जरूरत होती थी, लेकिन बाद में इसमें कुछ बदलाव किए गए, जिसके बाद इसे एक हाथ से यूज किया जा सकता था। इसका इस्तेमाल Xerox Alto Computer में किया लेकिन वो कम्प्यूटर ज्यादा नहीं चला, जिसके बाद Apple Lisa कंप्यूटर में व्यापक तौर पर Mouse का इस्तेमाल हुआ। जब उन्होंने इसको बनाया था उस वक्त Xerox Parc Corporation में काम करते थे। ये उस समय इतना प्रसिद्ध हुआ कि आज ये Pointing Device के नाम से जाना जाता है। कम्प्यूटर Mouse का आविष्कार एक द्वितीय विश्वयुद्ध ( World War-II ) में हुआ था। 👉Click This:- Characteristics Of Computer – कंप्यूटर की विषेशताएं Functions Of Mouse ( माउस के कार्य ) Mouse एक बहुक्रियात्मक उपकरण है, जिसकी सहायता से कई कार्य किए जा सकते हैं। Mouse का Use कंप्यूटर Screen पर Items, Icons को उठाने, पकड़ने, रखने आदि के लिए अधिकतर किया जाता है। आइये अब इन सभी Mouse के Function को समझते हैं कि यह कैसे काम करता हैं। Pointing Selecting Clicking Right Click Left Click Single Click Double Click Triple Click Dragging & Dropping Scrolling Move Mouse Cursor Open Or Execute A Program Hover Editing आइये अब इन माउस के सभी कार्य के बारे में विस्तार से समझते हैं ; 01]. Pointing ( पॉइंटिंग ) जब Cursor को कम्प्यूटर Screen पर मौजूद किसी Items की तरफ ले जाया जाता है और Pointer उस Item को छूता है, तो एक Box दिखाई देता हैं, जो हमें उस Item के बारे में बताता है। इस संपूर्ण क्रिया को Pointing कहते हैं, इस क्रिया को Hovering के नाम से भी जाना जाता है। 02]. Selecting ( सेलेक्टिंग ) कंप्यूटर स्क्रीन पर किसी Item पर Pointing करने के बाद Mouse के Left Button को एक बार दबाने पर वह Item Select हो जाती है, इसे ही Selecting कहा जाता है। जब कोई Item Select होती है, तो उसके चारों तरफ़ एक वर्ग होता है, जिससे पता चलता है कि यह Item Select किया हुआ है। Mouse का इस्तेमाल Textको Select करने के लिए, Highlight आदि करने के लिए कर सकते हैं। 03]. Clicking ( क्लिकिंग ) Mouse Button को दबाने की क्रिया को Click कहते हैं। Click करने के लिए किसी भी Mouse Button को दबाइए और उसे छोड़ दीजिए। Types Of Click In Mouse ( माउस क्लिक करने के प्रकार ) माउस में Click दो प्रकार की होती हैं; A]. Left Click ( बायां क्लिक ) B]. Right Click ( दायाँ क्लिक ) जिसे इस प्रकार निचे दिए गए इमेज में दिखाया गया हैं। A}. Left Click ( बायां क्लिक ) :- Mouse के Left Button को दबाना Left Click कहलाता है। इसके के भी निम्न प्रकार हैं; Single Click ( एक बार क्लिक ) Double Click ( दो बार क्लिक ) Triple Click ( तीन बार क्लिक ) I). Single Click ( एक बार क्लिक ):- Single Click माउस के Left Button को एक बार दबाना और उसे छोड़ देना Single Click कहलाता है। Single Click के द्वारा किसी Item, Icons को Select करना, Menu खोलना, किसी Webpages पर उपलब्ध Link को खोजना आदि कार्य किए जाते हैं। II). Double Click ( दो बार क्लिक ):- Mouse के Left Button को एक साथ दो बार जल्दी से दबाने पर Double Click होती हैं। Double Click ᶜˡⁱᶜᵏ एक तरह का Shortcut कि तरह कार्य करती है। इसके द्वारा किसी भी Item, Files, Program आदि को खोला जा सकता है, इसके अलावा किसी दस्तावेज में कोई भी शब्द Select करने के लिए भी Double Click का इस्तेमाल किया जाता हैं। III). Triple Click ( तीन बार क्लिक ) :- Triple Click माउस के Left Button को एक साथ तीन बार जल्दी से दबाने पर Triple Click होती हैं। Triple Click का उपयोग बहुत ही कम किया जाता है, इसके द्वारा किसी दस्तावेज़ में पूरे Paragraph को Select किया जा सकता हैं। यह Trick आपके बहुत काम आएगा अगर आप टाइपिंग करते हैं तो। B}. Right Click ( दायाँ क्लिक ):- Mouse के Right Button को दबाना Right Click कहलाता है। किसी Item पर Right Click करने से उस Item के साथ किए जा सकने वाले कार्यों की एक List खुलती हैं। 04]. Dragging & Dropping : ( खींचना और छोड़ना ) Mouse के द्वारा कम्प्यूटर Screen पर उपलब्ध किसी भी Item को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखा जा सकता है, इसके लिए Mouse की Dragging और Dropping क्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। Mouse Pointer के द्वारा किसी Item को Select करने के लिए Left Button को उस Item पर दबाए रखें और उस Item को वांछित जगह तक खींच कर ले जाए और Button को छोड़ दें, इस संपूर्ण कार्य को Dragging & Dropping ( खींचना और छोड़ना ) कहा जाता हैं। 05]. Scrolling : ( सरकाना ) Mouse Wheel द्वारा किसी Document, Web-Pages को ऊपर⁻ नीचे सरकाना Scrolling कहलाता हैं। ऊपर की तरफ सरकाने के लिए Wheel को अपनी तरफ घुमाना पड़ता हैं और नीचे की तरफ सरकाने के लिए बाहर की तरफ घुमाना पड़ता हैं। 06]. Move Mouse Cursor ( माउस कर्सर ले जाएँ ) Mouse Cursor को Move करना ये Primary Function होता हैं, जिसका काम ही है कि Mouse Cursor को Screen में Move करना। 07]. Open Or Execute A Program ( एक प्रोग्राम खोलें या निष्पादित करें ) Mouse के इस्तेमाल से यूजर किसी भी Icon, Folders, Files या किसी दूसरे Program को Click करके Open और Execute कर सकते हैं। 08). Hover ( हॉवर ) Mouse के इस्तेमाल से Objects के ऊपर Hover कर सकते हैं। Hover का मतलब है कि जब आप किसी Object के ऊपर Cursor को लायेंगे तब उसके सम्बन्ध में जो भी जानकारी उपलब्ध रहेगी वो Show होगी। 09]. Editing ( एडिटिंग ) Mouse के मदद से आप Photo, Editing, Graphics और Drawing जैसे काम भी Software की मदद से कर सकते हैं, जिन्हें Keyboard के माध्यम से कर पाना लगभग असम्भव हैं। 👉Click Here:-Introduction Of Html -एच टी एम एल का परिचय उम्मीद करता हूँ कि दोस्तों मेरा यह Computer Mouse पर बनी सुन्दर-सा पोस्ट आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई डाउट या सवाल हैं तो निःसंदेह आप मुझसे सवाल कर सकते हैं। मै इसका जवाब देने का प्रयास करूँगा या फिर मै आपके द्वारा पूछे गए सवाल पर एक नया पोस्ट तैयार जरूर करुँगा। और आप किस-किस विषयों पर अपना ज्ञान पाना चाहते हैं , वो आप मुझे Comments करके जरूर बताये।
- Generation Of Computer – कंप्यूटर की पीढियां
इस पोस्ट में मैंने Generation Of Computer – कंप्यूटर की पीढियां के बारे में प्रयुक्त Hardware के आधार पर Computer की पीढ़ियों का वर्गीकरण किया हैं। प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर, दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर, तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर, चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर, पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर और सभी पीढ़ियों के विशेषतओं को बहुत ही आसान शब्दों में समझाया है। Table Of Content Generation Of Computers – कंप्यूटर की पीढियां First Generation Of Computer ( प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर ) Second Generation Of Computer ( दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ) Third Generation Of Computer ( तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ) Forth Generation Of Computer ( चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर ) Fifth Generation Of Computer ( पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर ) Generation Of Computer In Hindi – कंप्यूटर की पीढियां हिंदी में 1940 के बाद Computer Technology में कई बदलाव हुए हैं, जिससे कहा जा सकता है कि उन्नत Computer के विकास में बड़ी क्रान्ति हुई है। Computer के विकास का मुख्य उद्देश्य Fast Processing करना, Smaller Size होना, जिसमें High Storage Capacity क्षमता हों और जिसकी लागत भी Low Cost हों। Computer की पीढ़ियों का वर्गीकरण उनमें प्रयुक्त Hardware के आधार पर किया जाता हैं। Hardware के विकास का प्रत्येक चरण Computers की एक अलग पीढ़ी के नाम से जाना जाता हैं, इन पीढ़ियों को हम पांच भागों में विभाजित कर सकतें हैं। I. First Generation Of Computer ( प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर ) II. Second Generation Of Computer ( दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ) III. Third Generation Of Computer ( तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ) IV. Forth Generation Of Computer ( चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर ) V. Fifth Generation Of Computer ( पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर ) आइये अब इन सभी कंप्यूटर के पीढ़ियों के बारे में विस्तार से वर्णन करते हैं; 01. First Generation Of Computer ( पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ) 𝚃𝚒𝚖𝚎𝚕𝚒𝚗𝚎 : 𝟷𝟿𝟺𝟸-𝟷𝟿𝟻𝟻 Computer की पहली पीढ़ी की शुरुआत 1951 में UNIVAC-1 के आविष्कार के साथ हुईं थीं। इस समय दो महान लोग J. P. Eckert तथा J. W. Mauchly ने वैक्यूम Tube पर आधारित पहला Electronic Device बनाया था। इस पीढ़ी के Computers में Electronic Vacuum Tubes का प्रयोग किया गया था। Vaccum Tubes कांच की बनी होती थी, जिसके कारण वह नाजुक थी। इनका प्रयोग Electronic Signal प्राप्त करने के लिए किया जाता था। इनका आकार बहुत बड़ा होता था और बिजली की खपत भी बहुत अधिक होती थीं। यह Tubes बहुत ज्यादा गर्मी पैदा करते थे। Punch Cards, Paper Tap तथा Magnetic Tap को Input और Output Device के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। 💁♂️Tip:- Vacuum Tube का आविष्कार सन् 𝟏𝟗𝟎𝟒 में 𝐉𝐡𝐨𝐧 𝐀𝐦𝐛𝐫𝐨𝐬𝐞 𝐅𝐥𝐞𝐦𝐢𝐧𝐠 ने किया था। इन Computers में Operating System नहीं होता था। इसमें चलाने वाले प्रोग्रामों को Punch Card में Store करके रखा जाता था। इसमें Data Store करने की क्षमता बहुत सीमित होती थी। इन Computers में Machine Language का प्रयोग Programming Language के रूप में किया जाता था। Features Of First Generations Computer (विशेषताएं ) इन Computers में Vacuum Tubes का इस्तेमाल किया गया था, जिसे Valve भी कहा जाता हैं। यह आकार में बड़ा और अधिक गर्मी पैदा करता था, जिसे ठंडा रखने के लिए 𝐀𝐢𝐫 -𝐂𝐨𝐧𝐝𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧𝐢𝐧𝐠 𝐌𝐚𝐜𝐡𝐢𝐧𝐞 का उपयोग करना पड़ता था। ये बहुत भारी थे, इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता था। ये बहुत महंगे थे। इसमें अधिक मात्रा में Electricity खर्च होती थी, तकरीबन 150 Kilowatts Per Hours . ये जल्दी गर्म हो जाते थे। ये अधिक भरोसेमंद परिणाम नहीं दे पाते थे। भंडारण के लिए Magnetic Drums का इस्तेमाल। Machine Language का प्रयोग Programming Language के रूप में किया जाता था। Punch Cards, Paper Tap, तथा Magnetic Tap को Input और Output के लिए किया जाता था। Software Machine Language तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा ( Low Level Programming Language) में तैयार किया जाता था। Computer का गणना समय या गति Millie Second (MS) में थी। (𝟏𝐦𝐬=𝟏𝟎³ या 𝟏/𝟏𝟎𝟎𝟎 𝐒𝐞𝐜𝐨𝐧𝐝) पहली पीढ़ी के Computer का उपयोग मुख्यत: वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्यों में किया गया। 1952 में डॉ. ग्रेस हॉपर द्वारा Assembly Language के आविष्कार से Program लिखना कुछ आसन हो गया। इस पीढ़ी के निम्न मुख्य कम्प्यूटर्स थे 👇 Mark-1 ENIAC ( Electronic Numerical Integrated And Calculator ) EDVAC IBM-701 IBM-650 Univac ADSAC 👉Click Here:- What Is Mouse – माउस क्या होता हैं? 02. Second Generation Of Computer ( दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ) 𝚃𝚒𝚖𝚎𝚕𝚒𝚗𝚎 : 𝟷𝟿𝟻𝟼-𝟷𝟿𝟼𝟺 सन् 1948 में अमरीका के बर्डन, ब्रिटन और शैक्ली ने Transistor का आविष्कार किया शीघ्र ही Computer में Vacuum Tubes का स्थान Transistors ने ले लिया। Transistor का आविष्कार 1947 में William Shockley ने किया था। दूसरी पीढ़ी के Computer में Vacuum Tubes की जगह Transistor ने ले ली। Transistor, Vacuum Tubes से काफी बेहतर था। इसके साथ दूसरी पीढ़ी के Computers में मशीनी भाषा के बजाय Assembly Language का उपयोग किया जानें लगा। हालांकि अभी भी Data Store करने के लिए Punch Card का इस्तेमाल किया जाता था। अब Computers में Primary एवं Secondary Memory का इस्तेमाल होने लगा और Assembly एवं High Level Programming Language को सहयोग ( Support ) करने लगे तथा उनमें Multi Programming Operating System का प्रयोग होने लगा था। Features Of Second Generation Computers ( विशेषताएं ) दूसरी पीढ़ी के Computers में Vacuum Tubes की जगह Transistor का उपयोग किया गया था। एक Transistor कई Vacuum Tubes के बराबर कार्य कर सकता था। Computers के वजन, आकार और मूल्य में कमी आई। Transistor लगे Computer अधिक विश्वसनीय थे यह सही परिणाम देते थे। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान था। ये जल्दी ही गर्म नहीं होते थे। यह Computer पहली पीढ़ी के Computers की तुलना में अधिक तेज़ और इनकी Processing क्षमता भी तेज़ थी। इस दौरान व्यवसाय की दुनिया और उद्योग जगत में Computer का उपयोग शुरु हुआ और नई Programming Languages का विकास हुआ था। Computer के लिए Software उच्च स्तरीय Assembly भाषा ( High Level Programming Language ) में तैयार किया गया। Assembly भाषा में Program लिखने के लिए Mnemonics Cod का प्रयोग किया जाता हैं, जो याद रखने में सरल होते हैं। अत: Assembly Language में Software तैयार करना आसान होता हैं। Data तथा Software के भंडारण के लिए Memory के रूप में चुंबकीय भंडार उपकरणों ( Magnetic Storage Devices ) जैसे; Magnetic Tap, Magnetic Disk आदि का प्रयोग आरंभ हुआ। इससे भंडारण क्षमता तथा Computer की गति में वृद्धि हुईं। Computer में Process करने की गति तीव्र हुईं जिसे अब Micro Second (μ𝐬) में मापा जाता था। ( 𝟏μ𝐬=𝟏𝟎¯⁶ 𝐒𝐞𝐜 या 𝟏 𝐒𝐞𝐜𝐨𝐧𝐝 का 𝟏𝟎 लाखवां भाग ) Batch Operating System का आरंभ हुआ। Software में COBOL ( Common Business Oriented Language ) और FORTRON ( Formula Translation ) जैसे उच्च स्तरीय भाषा ( High Level Programming Language ) का विकास IBM द्वारा किया गया। इससे Program लिखना आसान हुआ। इस पीढ़ी के निम्न मुख्य कम्प्यूटर्स थे 👇 Honeywell 400 IBM 7094 CDC 1604 CDC 3000 Series UNIVAC 1108 IBM 1400 Series MARK-III IBM 1620 👉Click This:- Characteristics Of Computer – कंप्यूटर की विषेशताएं 03. Third Generation Of Computer ( तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ) 𝚃𝚒𝚖𝚎𝚕𝚒𝚗𝚎 : 𝟷𝟿𝟼𝟺-𝟷𝟿𝟽𝟻 सन् 1964 में Integrated Circuit Chip या IC Chip के आविष्कार के बाद Computers में Transistors का स्थान IC Chip ने ले लिया और इस प्रकार Computer का आकार बहुत छोटा हो गया। इस IC Chip को 1958 में 𝐉. 𝐒. 𝐊𝐢𝐥𝐛𝐲 द्वारा विकसित किया गया था। SSI ( Small Scale Integration ) तथा बाद में MSI ( Medium Scale Integration ) का विकास हुआ जिसमें एक अकेली IC Chip में सैकड़ों Electronic उपकरणों जैसे; Transistors, प्रतिरोधक ( Register ) तथा संधारित्र (Capacitor) का निर्माण संभव हुआ। इन Computers की गति Micro Second से Nano Second तक की थी। जो Scale Integrated Circuit के द्वारा संभव हो सका। यह Computer छोटे और सस्ते बनने लगे और साथ ही उपयोग में भी आसान होते थे। Multi-Programming OS एवं High Level Programming Language के इस्तेमाल में सुधार हुआ। इस पीढ़ी में उच्च स्तरीय भाषा Pascal और Basic का विकास हुआ। लेकीन अभी भी बदलाव हो रहा हैं। Features Of Third Generation Computers (विशेषताएं ) Computer की तीसरी पीढ़ी में Transistors के बजाय Integrated Circuit Chip (IC) का उपयोग किया गया था। इसमें LSI तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें एक Silicone Semiconductor Microchip पर हजारों Transistor का उपयोग किया गया था। जिसे Large-Scale-Integration (LSI) के नाम से भी जाना जाता हैं। एक IC Chip कई Transistor के बराबर होता हैं। यह पहली और दुसरी पीढ़ी के Computers की तुलना में बहुत तेज़ी से काम करता था। इन Computers का वजन और आकार दूसरी पीढ़ी के Computer से कम था। ये अधिक विश्वसनीय एवं विकसित थे। इनके मूल्य भी पूर्व की पीढ़ी वाले Computers से कम थे। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान था। High Level Programming भाषा में BASIC, COBOL, FORTRON, ALGOL का इस्तेमाल हुआ। Mouse और Keyboard का इस्तेमाल हुआ। General Purpose के लिए इस्तेमाल संभव हुआ। कार्यक्षमता में बढ़ोतरी। Tim Sharing Operating System का विकास हुआ। Hardware और Software की अलग अलग बिक्री प्रारंभ हुई, इससे उपयोगकर्ता आवश्यकतानुसार Software ले सकता था 1965 में DEC ( Digital Equipment Corporation ) द्वारा प्रथम व्यवसायिक Mini Computer पी.डी.पी.-8 ( Programmed Data Processer-8 ) का विकास किया गया। Computer का गणना समय Nano Second (ns) में मापा जाने लगा। इससे Computer के कार्य क्षमता में तेजी आई। (𝟏𝐧𝐬=𝟏𝟎¯𝟗 𝐒𝐞𝐜) इस पीढ़ी के निम्न मुख्य कम्प्यूटर्स थे 👇 PDP-8 PDP-11 ( PDP – Personal Data Processer ) TCL-2900 IBM 360 Series Honeywell 6000 Series TDC-B16 IBM-370/168 TDC-316 👉Click Here:- Fundamental Of Computer – कंप्यूटर के मूल सिद्धांत 04. Forth Generation Of Computer ( चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर ) 𝚃𝚒𝚖𝚎𝚕𝚒𝚗𝚎 : 𝟷𝟿𝟼𝟽-𝟷𝟿𝟾𝟿 सन् 1970 के पश्चात् Large-Scale-Integrated Circuit और Silicone Chip पर Microprocessor के प्रयोग से चौथी पीढ़ी के Computers का विकास हुआ। Microprocessor Chip एक संपूर्ण CPU की तरह कार्य करती है। चौथी पीढ़ी के Computer में LSI IC के बजाय VLSI का उपयोग हुआ, जिसमें एक Silicone Chip में हजारों Integrated Circuit (IC) का उपयोग किया गया था। Very-Large-Scale-Integrated (VLSI) तकनीक के उपयोग से Microprocessor का निर्माण हुआ, जिससे Computer के आकार में कमी और क्षमता में वृद्धि हुईं। इस समय के दौरान Graphical User Interface (GUI) को विकसित किया गया था, जिससे Computer का उपयोग करना और आसान हो गया था। यह समय Computer क्रांति लेकर आया और Computer आम इंसान तक पहुंचा। इसी समय Windows, Mac-OS, MS-DOS, जैसे Operating System का निर्माण हुआ और इसी समय Microsoft और Apple जैसी Companies की शुरुआत हुई तथा आज ये वर्तमान में हैं। Features Of Forth Generation Of Computers (विशेषताएं ) इसमें LSI IC के बजाय VLSI ( Very Large Scale Integrated ) का उपयोग किया गया। Graphical User Interface (GUI) का विकास हुआ। पहले की अपेक्षा इस वक्त Computer का उपयोग करना और भी आसान हों गया था। Microprocessor का निर्माण हुआ, जिससे Computer के आकार में कमी और क्षमता में वृद्धि हुईं। Internet का विकास हुआ। आम इंसान तक पहुंचा। AC ( Air-Conditioner ) की जरूरत नहीं Fan का इस्तेमाल हुआ। C, C++, .NET जैसी Programming Languages का निर्माण हुआ। Computer की गणना समय Pico Second (PS) में मापा जाने लगा। (𝟏𝐩𝐬=𝟏𝟎¯𝟏𝟐 𝐒𝐞𝐜) Multitasking के कारण Computer का प्रयोग एक साथ कई कार्यों को संपत्र करने में किया जाने लगा। Microprocessor का विकास एम ई हौफ ने 1971 में किया, इससे PC ( Personal Computer ) का विकास हुआ Magnetic Tap और Disk का स्थान अर्धचालक ( Semiconductor ) Memory ने ले लिया। उच्च गति वाले Computer Network जैसे; LAN और WAN का विकास हुआ। Parallels Computing तथा Multimedia का प्रचलन प्रारंभ हुआ। 1981 में IBM ( International Business Machine ) कंपनी ने Micro Computer का विकास किया, जिसे PC ( Personal Computer ) कहा गया। इस पीढ़ी के निम्न मुख्य कम्प्यूटर्स थे 👇 Fortron-77 Pascal Aada Graphics Cad Cam DEC 10 STAR 1000 PDP 11 CRAY-1 ( Super Computer ) CRAY-X-MP ( Super Computer ) 05. Fifth Generation Of Computer ( पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर ) 𝚃𝚒𝚖𝚎𝚕𝚒𝚗𝚎 : 𝟷𝟿𝟾𝟿 से अब तक उच्चतम तकनीक से युक्त विश्वसनीय एवं सस्ते Computers के निर्माण के बाद अब ऐसे Computer बनाने का प्रयास जारी हैं, जो मनुष्यों की तरह समझदार हो और न केवल गणना ही कर सकें बल्कि स्वयं भी निर्माय ले सके। इन स्वचालित Computers में सोचने समझने कि तार्किक क्षमता भी होंगी जो 𝐀.𝐈. (𝐀𝐫𝐭𝐢𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐈𝐧𝐭𝐞𝐥𝐢𝐠𝐞𝐧𝐜𝐞) कहलाते हैं। इस तार्किक क्षमता एवं मशीनी बुद्धिमत्ता के कारण ये Computer मनुष्यों की तरह कार्य कर सकेंगे। इन्हें चलाने के लिए मानविक ऑपरेटरों की आवश्यकता नहीं रहेंगी। Ultra Large Scale Integration(ULSI) तथा SLSI ( Super Large Scale Integration ) से करोड़ो Electronic उपकरणों से युक्त Microprocessor Chip का विकास हुआ। एवं Optical Disk जैसी चीजों का प्रयोग इस पीढ़ी के Computers में किया जानें लगा। कम से कम जगह में अधिक Data Store किया जानें लगा, जिससे Portable PC, Desktop PC, Tablets आदि ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी । Internet, E-mail, WWW ( World Wide Web ) का विकास हुआ। एक ULSI Based Microprocessor में एक करोड़ Electronic Components आ सकते हैं। आपका परिचय Windows के नए रूपों में हुआ, जिससे Windows XP को भुलाया नहीं जा सकता हैं। विकास अभी भी जारी हैं 𝐀. 𝐈. पर जोर दीया जा रहा हैं। उदाहरण के लिए Windows Cortana को आप देख ही रहे हैं। Features Of Fifth Generation Computers (विशेषताएं ) पांचवी पीढ़ी के Computer में VLSI के बजाय ULSI ( Ultra Large Scale Integration ) का उपयोग किया जा रहा हैं। और आज एक Chip द्वारा करोड़ों गणना करना संभव हैं। पांचवी पीढ़ी के Computer बहुत छोटे और तेजी से काम करते हैं। पांचवी पीढ़ी में 𝐀.𝐈 ( 𝐀𝐫𝐭𝐢𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐈𝐧𝐭𝐞𝐥𝐥𝐢𝐠𝐞𝐧𝐜𝐞 ), Internet और Fiber Optic Network के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति का विस्तार हुआ है। ऊर्जा का कम इस्तेमाल। C, C++, Java, .NET, ASP का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होने लगा । कृत्रिम बुद्धिमता का विकास। Internet Of Thinks (IOT) का विकास। Network के क्षेत्र में Internet, E-mail तथा WWW ( World Wide Web ) का विकास हुआ। Multimedia, Touch Screen, Web, Voice Control का प्रयोग। GUI आधारित OS का इस्तेमाल। IT ( Information Technology ) और IH ( Information Highway ) की अवधारणा का विकास हुआ। Magnetic Bubble Memory के प्रयोग से भंडारण क्षमता में वृद्धि हुईं। Portable PC और Desktop PC ने Computer को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में जोड़ दिया। भंडारण के लिए Optical Disk, CD ( Compact Disk ), DVD और Blu-Ray Disk का विकास हुआ। दो Processor को एक साथ जोड़कर तथा Parallel Processing द्वारा Processor की गति को अत्यंत तीव्र बनाया गया। इस पीढ़ी के निम्न मुख्य कम्प्यूटर्स थे 👇 IBM Notebook Pentium PC Desktop PCs Mack books Chromebooks Super Computer Laptops Notebook Ultrabook 👉Click This:- Introduction Of Computer – कंप्यूटर का परिचय उम्मीद करता हूँ कि दोस्तों मेरा यह Generation Of Computer पर बनी सुन्दर-सा पोस्ट आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई डाउट या सवाल हैं तो निःसंदेह आप मुझसे सवाल कर सकते हैं। मै इसका जवाब देने का प्रयास करूँगा या फिर मै आपके द्वारा पूछे गए सवाल पर एक नया पोस्ट तैयार जरूर करुँगा। और आप किस-किस विषयों पर अपना ज्ञान पाना चाहते हैं , वो आप मुझे Comments करके जरूर बताये।
- Computer Characteristics – कंप्यूटर की विषेशताएं
यह समझने के लिए कि कंप्यूटर हमारे जीवन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा क्यों है, आइए इसकी कुछ विशेषताओं पर एक नजर डालते हैं। 01. High Speed 02. Automation 03. Accuracy 04. Versatility 05. High Storage Capacity 06. Repetitiveness 07. Diligence 08. Compactness Table Of Content Features / Characteristics Of Computer – कंप्यूटर की विषेशताएं High Speed ( उच्च गति ) Automatic ( स्वचालित ) Accuracy ( सटीकता, शुद्धता, त्रुटि रहित कार्य ) Versatility ( कार्य विविधता, सार्वभौमिकता, बहुमुखी प्रतिभा ) High Storage Capacity ( उच्च भंडारण क्षमता ) 01}. High Speed ( उच्च गति ) कंप्यूटर की मुख्य विशेषता उसकी गति (Speed) हैं। कंप्यूटर किसी भी कार्य को एक मानव की तुलना में अधिक तेज़ी से कर सकता हैं। For Example; आप पैदल चलकर कहीं भी जा सकतें हैं, फिर भी साईकिल, स्कूटर या कार का इस्तेमाल करते हैं, ताकि आप किसी भी कार्य को तेज़ी से कर सकें। Machine की सहायता से आप कार्य की स्पीड बढ़ा सकते हैं। ठीक इसी प्रकार कंप्यूटर भी किसी भी कार्य को बहुत तेज़ी से कर सकता हैं। Computer बहुत तेज़ Speed से कार्य करता हैं। Computer एक Second में लाखों गणनाएं और लाखों निर्देशों को संसाधित कर सकता हैं। किसी मनुष्य द्वारा पूरे साल में किए जानें वाले कार्य को Computer कुछ ही Second में कर सकता हैं। Computer Processer की Speed को हार्ट्ज ( Hz ) में मापते हैं। इसकी Data संसाधित करने की Speed को Microsecond (10¯⁶), Nanosecond (10¯⁹) तथा Picoseconds (10¯¹²) में मापा जाता हैं, ये सभी Computer की इकाईयां हैं। Computer की Speed को एक Second में Process किए गए निर्देशों की संख्या के आधार पर मापा जाता हैं। वर्तमान में Computer एक Second में 10 लाख ( Million ) से भी अधिक निर्देशों को Process कर सकता हैं, अत: Computer की Speed को MIPS ( Million Instructions Per Second )में मापा जाता हैं। इस Machine का निर्माण ही तीव्र गति से कार्य करने के लिए किया गया है। एक Powerful Computer Per Second कई Billion (109) सरल अंकगणितीय संचालन करने में सक्षम हैं। इसमें बहुत सारे Data को एक साथ Process करने की क्षमता होती हैं 👉Click Here:- Fundamental Of Computer – कंप्यूटर के मूल सिद्धांत। 02}. Automatic ( स्वचालित ) कंप्यूटर एक ही प्रकार के कार्य को बार-बार कर सकता है बिना थकान या ऊब के कारण त्रुटियाँ फेंके, जो कि मनुष्यों में बहुत आम है। हम अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार की स्वचालित Machine का Use करते हैं। Computer भी अपना पूरा कार्य स्वचालित तरीके से करता हैं। Computer अपना कार्य, Program के एक बार Load हो जानें पर स्वत: करता रहता हैं। Computer एक स्वचालित Machine है, जिसमें गणना के दौरान मानवीय हस्तक्षेप कि संभावना नगण्य होती हैं। हालांकि Computer को कार्य करने के लिए निर्देश मुनष्य ही दिए जाते हैं, पर एक बार आदेश दिए जानें के बाद वह बिना रुके काम करता हैं। Computer खुद शूरू नहीं कर सकता हैं। वे उन निर्देशों से काम कर सकते हैं, जो System के अंदर Program के रूप में Store होते हैं। जो निर्दिष्ट करते हैं कि किसी विशेष कार्य को कैसे किया जाता हैं। यह बहुत सारे काम कार्य को बिना इंसानी हस्तक्षेप के पूरा कर सकता हैं। Automation Computer की एक बहुत बड़ी खूबी हैं, यह सौंपे गए कार्यों को अपने आप पूरा कर देता हैं। 03}. Accuracy ( सटीकता, शुद्धता, त्रुटि रहित कार्य ) कंप्यूटर बहुत उच्च स्तर की सटीकता प्रदर्शित करते हैं। त्रुटियां जो आमतौर पर गलत डेटा, गलत निर्देश या चिप्स में बग के कारण हो सकती हैं - सभी मानवीय त्रुटियां। Computer अपना सारा कार्य बिना किसी गलती के करता हैं, यदि आपको 10 अलग -अलग संखायाओं का गुणा कराने के लिए कहा जाए तो आप कई बार गलती करेंगे। लेकिन साधारणत: Computer किसी भी Process को बिना किसी गलती के पूर्ण कर सकता हैं। Computer द्वारा गलती किए जाने का सबसे बड़ा कारण गलत Data Input करना होता हैं, क्योंकि Computer स्वयं कभी कोई गलती नहीं करता हैं। Computer बहुत तेज़ होने के आलावा बहुत सटीक हैं, यदि Input सही हैं तो Computer 100% Result देता हैं। किसी विशेष Computer की सटीकता की Digreeउसके Design पर निर्भर करती हैं। Computer हमेशा सही परिणाम देता हैं, सही Input देने पर सही Output देता हैं। गणना के दौरान अगर कोई त्रुटि ( Error ) पाई भी जाती हैं तो वह Program या Data में मानवीय गलतियों के कारण होती हैं इसके परिणामों की शुद्धता मानव परिणामों की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं। कंप्यूटर GIGO ( Garbage In Garbage Out ) सिद्धांत पर कार्य करता हैं। इसकी गणना शत प्रतिशत Error Free होता हैं। 04}. Versatility ( कार्य विविधता, सार्वभौमिकता, बहुमुखी प्रतिभा ) कंप्यूटर डेटा प्रविष्टि और टिकट बुकिंग से लेकर जटिल गणितीय गणनाओं और निरंतर खगोलीय प्रेक्षणों तक कई प्रकार के कार्य कर सकते हैं। यदि आप आवश्यक डेटा को सही निर्देशों के साथ इनपुट कर सकते हैं, तो कंप्यूटर प्रोसेसिंग करेगा। कंप्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। आधुनिक 𝐂𝐨𝐦𝐩𝐮𝐭𝐞𝐫𝐬 में अलग ही अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता हैं। Computer गणितीय कार्यों को करने के साथ -साथ व्यवसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने लगा हैं। Computer का प्रयोग हर क्षेत्र में होने लगा हैं। जैसे; Bank, Railway, Airport, Business, Web Development, Graphics Designer etc. यह Computer के बारे में सबसे शानदार विशेषताओं में से एक हैं। Computer एक बहु -उद्देश्य Machine हैं। इसके द्वारा हम Typing, Documents, Reports, Graphics, Video, E-mail etc. सभी जरूरी काम कर सकते हैं। इस पर एक साथ कई विषयों , क्षेत्रों के कार्य किए जा सकते हैं। 05}. High Storage Capacity ( उच्च भंडारण क्षमता ) कंप्यूटर फाइलों के पारंपरिक भंडारण की लागत के एक अंश पर बहुत बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहीत कर सकते हैं। साथ ही, कागज से जुड़े सामान्य टूट-फूट से डेटा सुरक्षित है। Computer के बाह्य ( External ) तथा आंतरिक ( Internal ) संग्रहण माध्यमों ( Hard Disk, Floppy Disk, Magnetic Tap, CD, ROM ) में असीमित Data और Information ( सूचना ) का संग्रहण किया जा सकता हैं। Computer में सूचनाएं ( Information's ) कम स्थान घेरती हैं, अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असिमित हैं। यह सभी प्रकार के Data, Pictures, Files, Text, Program, Games and Sound, Videos को कई वर्षों तक Store करके रख सकते हैं तथा बाद में हम कभी भी किसी भी सूचना को कुछ ही Second में प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने Use में ला सकते हैं। Storage Space के कारण Computer कार्य की दोहराव से बच जाता हैं। मानव की तुलना में Computer Memory बहुत ज्यादा और विशाल होती हैं। Computer Memory को कम या ज्यादा किया जा सकता हैं। जो हम इंसान नहीं कर सकते हैं। किसी एक Computer की स्मृति को दूसरे Computer के साथ इस्तेमाल किया जा सकता हैं। 👉Click This:- Introduction Of Computer – कंप्यूटर का परिचय। 06}. Repetitiveness ( पुनरावृत्ति या दोहराव ) कंप्यूटर किसी भी कार्य को स्थायी रुप से हमारी आवश्यकता के अनुसार दोहराव कर सकता हैं। यदि कंप्यूटर को किसी कार्य को जीतने भी बार दोहराने के लिए कहा जाए तो वह उस कार्य को उतनी ही बार दोहरा सकता हैं। 07}. Diligence ( लगन या समर्थन ) कंप्यूटर अपने सभी कार्य को अपने पूरे लगन और समर्थन के साथ करता हैं। कंप्यूटर के कार्य में कभी भी किसी प्रकार की कमी नहीं होती हैं। 08}. Compactness ( सघनता ) वर्तमान समय में कंप्यूटर अपने आकार एवं प्रकार के कारण किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकता हैं और उसका रख-रखाव भी आसान हैं। Compactness कंप्यूटर का प्रमुख उदाहरण लैपटॉप और टैबलेट हैं।
- Types Of Html Element – एच टी एम एल तत्व के प्रकार
एक Website बहुत सारे Web-Pages से मिलकर बने होते हैं या फिर एक Html Document, File पेज में बहुत सारे Elements से मिलकर बने होते हैं और इस पेज में मौजूद होते हैं और एक Element के अंदर बहुत सारे Elements उपलब्ध होते हैं, जो कि एक Tree के संरचना में होते हैं। सभी Elements के अर्थ, कार्य और उपयोगा अलग-अलग होते हैं। For Examples: Element का उपयोग Paragraph के किया जाता हैं। Element का उपयोग बड़े शीर्षक ( Heading ) के किया जाता हैं। Element का उपयोग के किया जाता हैं।आदि ऐसे ही बहुत से Elements हैं। आइये अब इसको अच्छे से समझने के लिए निचे दिए गए HTML कोड को अच्छे से समझते हैं। This Is My First Heading This Is My First Paragraph ➤ Html Element :- यह Html Document का Root Element होता हैं, जिससे Browser को यह पता चलता हैं कि यह एक Html Document हैं। ➤ Head Element :- यह Html का Head Element होता हैं, जिसमे वेबपेज का Title लिखा जाता हैं। ➤ Title Element :- इसमें वेबपेज का शीर्षक दिया जाता हैं। ➤ Body Element :- इसमें Html Document का Visible पार्ट को प्रदर्शित किया जाता हैं, जो हमें Web Browser पर दिखाई देती हैं। ➤ Heading Element :- इसका उपयोग Heading यानि शीर्षक बनाने के लिए किया जाता हैं। जो H1, H2, H3, H4, H5, H6 तक होता हैं, जिसमे H1 सबसे बड़ा शीर्षक और H6 सबसे छोटा शीर्षक होता हैं। ➤ Paragraph Element :- इसका उपयोग एचटीएमएल में डाक्यूमेंट्स में पैराग्राफ लिखने के लिए किया जाता हैं। What Is Html Element? (एचटीएमएल तत्व क्या है?) एच टी एम एल तत्व ( Element ) Tags, Content, का संयोजन ( Combination ) होता हैं। यानि Opening और Closing Tag तक सब कुछ एक प्रकार से Html Element ही होता हैं। एक Html Element में Opening Tag, Closing Tag, ( जिसे Start और End Tag भी कहते हैं। ) Content,और Attributes से मिलकर बने होते हैं, जिन्हे सामूहिक रूप से Html Element कहा जाता हैं। Elements Web Page पर सूचनाओं के प्रदर्शित होने के तरीके को दर्शाता हैं। Heading, Paragraph, Hyperlink, List आदि Elements के उदाहरण हैं। What Is Called Html Element? (एचटीएमएल तत्व किसे कहते हैं?) Opening Tag, Closing Tag, Content, Attributes और Value के संयोजन ( Combination ) को सामूहिक रूप से हम Html Element कहते हैं। For Example:- This Is My First Heading This Is My First Paragraph ऊपर दिए गए उदाहरण में कुल 4 एचटीएमएल एलिमेंट्स हैं। आइए प्रत्येक एचटीएमएल एलिमेंट्स को समझते हैं। 𝟏. <𝐡𝐭𝐦𝐥> </𝐡𝐭𝐦𝐥> (Html Elements) एचटीएमएल एलिमेंट्स एक एचटीएमएल Document का Root Element होता हैं। इस Element से Browser को पता चलता है कि यह एक HTML Document हैं। Opening tag, अन्य HTML Elements (Body, Heading और Paragraph) और Closing tag तीनों से मिलकर HTML Elements का निर्माण करती हैं। 𝟐. <𝐛𝐨𝐝𝐲> </𝐛𝐨𝐝𝐲> (Body Elements) Body Element में HTML Document का Visible Part लिखा जाता हैं। Opening tag, अन्य HTML Elements (Heading और Paragraph) और Closing tag से एक Body Elements का निर्माण होता हैं। 𝟑. <𝐡𝟏> </𝐡𝟏> (Heading Elements) Heading Elements का उपयोग Heading बनाने के लिए किया जाता हैं। Opening tag, Heading Text और Closing tag से एक Heading Elements का निर्माण होता हैं। 𝟒. <𝐩> </𝐩> (Paragraph Elements) Paragraph Element का उपयोग Heading बनाने के लिए किया जाता हैं। Opening tag, Paragraph Text, और Closing tag से एक Paragraph Element का निर्माण होता हैं। Types Of Elements In Html ( एचटीएमएल में तत्वों के प्रकार ) एचटीएमएल एलिमेंट्स को दो 𝗖𝗮𝘁𝗲𝗴𝗼𝗿𝘆 में बांटा गया हैं;_ Block-Level Elements Inline-Level Elements 01} Block-Level Elements ( ब्लॉक-स्तर के तत्व ) वह Elements होते हैं, जिनका उपयोग करने के बाद Content New Line में Start होता हैं। यह Elements Web-Page में Right Side से लेकर Left Side तक पूरा Width Cover करता हैं यानि कि Block-Level Elements के बाद लिखें गए Content भी New Line से Start होते हैं। 𝐔𝐬𝐞 𝐎𝐟 𝐁𝐥𝐨𝐜𝐤-𝐋𝐞𝐯𝐞𝐥 𝐄𝐥𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭𝐬 ( ब्लॉक-स्तर तत्वों उपयोग ) Block Level Elements का इस्तेमाल Web-Page में लिखें गए Content को अलग – अलग भाग में बांटने के लिए किया जाता हैं। जैसा कि ……. का इस्तेमाल Table Create करने के लिए किया जाता हैं। ° यह Elements जहां से भी शुरू होते हैं, वहां ऊपर की एक Line को छोड़ देते हैं। ° और जहां खत्म होते हैं, वहां Last की एक Line को छोड़ देता हैं। ° यह हमेशा New Line से Start होता हैं। ° और यह Webpage में Left से Right तक पूरा width लेता हैं। Block-Level Element को Block -Level और Inline Element दोनों के जैसा इस्तेमाल किया जा सकता हैं। नीचे कुछ Block-Level Element के नाम दीए गए हैं। to 𝐅𝐨𝐫 𝐄𝐱𝐚𝐦𝐩𝐥𝐞:- This is first Heading This is Paragraph This is third Heading ☞ 𝐎𝐮𝐭𝐩𝐮𝐭; ऊपर के Example में एक Heading एक Paragraph और एक div Tag (division tag) का उपयोग किया हैं और तीनों का Background Color Different दिया है ताकि Block आसानी से पता चल सके। आप Output में देख सकतें हैं कि Heading Left से Right तक पूरा Space ले रहा हैं। ठीक उसी प्रकार Paragraph और div भी Width ले रहा हैं, जिससे ये साफ पता चल रहा है कि Block Level Elements हमेशा New Line से Start होता हैं और By Default हर Line के Last में हमेशा एक Line का Space मिलता है। 02} Inline-Level Elements ( इनलाइन-स्तर के तत्व ) Inline Element कभी भी नई Line से शुरू नहीं होता हैं। बल्कि उसी पुरानी Line में कुछ Space ले लेता हैं। Inline Element वे Element हैं, जो दिए गए भाग को अलग करते हैं और इसे एक विशेष Function प्रदान करते हैं। ये Element नई Line से शुरू नहीं होते हैं और आवश्यकता के अनुसार चौड़ाई लेते हैं। Inline Element का उपयोग ज्यादातर अन्य Elements के साथ किया जाता हैं। Inline Elementa के नाम नीचे दिए गए हैं;
- Fundamental Of Computer – कंप्यूटर के मूल सिद्धांत
इस पोस्ट में यह बताया हैं कि Fundamental Of Computer – कंप्यूटर के मूल सिद्धांत क्या हैं ?, इसमें मै कंप्यूटर के बेसिक कंप्यूटर के सिद्धांत और मूल सिद्धांत को समझाया हैं। Table Of Content How can a computer be defined? ( कंप्यूटर को कैसे परिभाषित किया जा सकता है? ) Meaning Of Computer Word? ( कंप्यूटर शब्द का अर्थ क्या हैं? ) Modern Computer ( आधुनिक कंप्यूटर ) Fundamental Of Computer In Hindi – कंप्यूटर का मूल सिद्धांत हिंदी में कंप्यूटर एक Advance Electronic Device हैं, जो User द्वारा Input किये गए Data में प्रक्रिया करके सूचनाओं को Result के रूप में प्रदान करता हैं या उसे Instructions के सेट ( Program ) नियंत्रण के तहत Process करता हैं। Result को Produce करता हैं और Future के लिए इसे Save करता हैं। अर्थात कंप्यूटर एक Electronic Machine हैं, जो Users द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करता हैं। आज की दुनिया एक Information की दुनिया हैं और हर एक के लिए Computer के बारे में जानना बहुत आवश्यक बन गया हैं। Computer एक Electronic Data Processing Device हैं, जो Data Input को स्वीकार ( Accept ) करता हैं और एक आवश्यक Format के रूप में Output Produce करता हैं। आप दस्तावेजों को टाइप करने, E-mail भेजने, Game खेलने और Web Browse करने के लिए, आदि के लिए कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता हैं। आप स्प्रैडशीट्स, प्रस्तुतियों और यहाँ तक की Video बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता हैं। 👉Click This:- Learn To Full Completed Html Tutorials ? कंप्यूटर को एक ऐसी Machine या Device के रूप में परिभाषित या वर्णित किया है सकता हैं, जो Information के साथ काम करता हैं। जैसे; कि Store करना, Receive करना, पुनर्प्राप्त करना और Data को Process करने की क्षमता होती हैं। 👉Click Here:- Generation Of Computer – कंप्यूटर की पीढियां Meaning Of Computer Word? ( कंप्यूटर शब्द का अर्थ क्या हैं? ) Computer शब्द “Compute” से लिया गया हैं, जो कि लैटिन शब्द हैं और गणना ( Calculation ) के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता हैं। यह Programmable Machine के रूप में अधिक सटीक रूप से परभाषित किया जा सकता हैं, जो कुछ संख्यात्मक गणनाओं ( Numerical Calculation ) में प्रयोग किया जाता हैं। कुछ दशकों से ही ये Machine या Device केवल गणना के लिए इस्तेमाल की गई, लेकिन आजकल ये व्यापक और बहुतायत रूप से मानव समाज के सभी वर्गों में उपयोग किया जा रहा हैं। 👉Click This:- Introduction Of Computer – कंप्यूटर का परिचय Modern Computer ( आधुनिक कंप्यूटर ) आधुनिक युग के कंप्यूटर अत्यंत शक्तिशाली हो गए हैं, क्योंकि Computer Scientists ने ऐसे तरीके खोज निकाले हैं, जिनकी वजह से कंप्यूटर पहले की तुलना में अधिक तेज गति से अपने सरे काम बहुत ही कम समय में सम्पाप्त कर देते हैं। कंप्यूटर की बढियाँ खूबियों में से एक हैं, उनकी Data को सेव करने की काबिलियत आजकल कंप्यूटर बहुत बड़ी मात्रा में Data और Information को हमेशा के लिए अपने पास Store कर सकते हैं। कंप्यूटर प्राथमिक तौर पर Hard Disk में Data को स्टोर करता हैं, जो कि आजकल बहुत सस्ती, किफायती हो गई हैं और आसानी से बाज़ार में उपलब्ध हैं। 👉Click This:- Introduction Of Computer In Hindi – कंप्यूटर का परिचय क्या हैं हिंदी में ? उम्मीद करता हूँ कि दोस्तों मेरा यह Fundamental Of Computer पर बनी सुन्दर-सा पोस्ट आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई डाउट या सवाल हैं तो निःसंदेह आप मुझसे सवाल कर सकते हैं। मै इसका जवाब देने का प्रयास करूँगा या फिर मै आपके द्वारा पूछे गए सवाल पर एक नया पोस्ट तैयार जरूर करुँगा। और आप किस-किस विषयों पर अपना ज्ञान पाना चाहते हैं , वो आप मुझे Comments करके जरूर बताये।