What Is Slip Disc? ( स्लिप डिस्क क्या है? )
रीढ़ की हड्डी में मौजूद हड्डियों को सहारा देने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं, जो रीढ़ की हड्डी को झटकों से बचाती हैं और उसे लचीला रखती हैं लेकिन जब एक डिस्क क्षतिग्रस्त हो जाती है तो यह सूज या टूट कर खुल सकती है, जिसे हम स्लिप डिस्क कहते हैं।
Meaning Of Slip Disc ( स्लिप डिस्क का मतलब )
स्लिप डिस्क का मतलब यह नहीं है कि डिस्क अपनी जगह से फिसल जाती है, इसका मतलब यह है कि डिस्क अपनी सामान्य सीमाओं से आगे बढ़ जाती है या फूल जाती है या फिर डिस्क की बाहरी दीवार छिज्ज जाती है, जिससे उसमें मौजूद द्रव न्यूक्लियस पल्पोसस (Nucleus Pulposus) का रिसाव रीढ़ की हड्डी या नज़दीकी तंत्रिका पर हो जाता है। स्लिप डिस्क से एक हाथ या पैर में स्तब्धता या कमज़ोरी हो सकती है।
📝Note:- रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में स्लिप डिस्क हो सकती है लेकिन अधिकांश यह पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित करती है।
Where Can Slip Disc ( कहां हो सकता है स्लिप डिस्क )
डॉक्टर्स कहते हैं कि स्पाइन में आपको गर्दन से लेकर लोवर बैक में किसी भी जगह स्लिप डिस्क हो सकता है। हालांकि, स्लिप डिस्क में लोवर बैक को सबसे कॉमन एरिया माना जाता है।
स्पाइनल कॉलम नसों और रक्त वाहिकाओं का एक जटिल नेटवर्क होता है। ऐसा होने पर हमारी नसों और रीढ़ के आस-पास की मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ सकता है।
Symptoms Of Slip Disc ( स्लिप डिस्क के लक्षण )
आपको आपकी रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में स्लिप डिस्क हो सकती है, जो गर्दन से लेकर पीठ के निचले हिस्से तक होती हैं। लेकिन पीठ के निचले हिस्से में यह सबसे आम है। आमतौर पर स्लिप डिस्क होने पर शरीर के एक हिस्से में दर्द और सुन्नपन महसूस हो सकता है। ये दर्द आपके हाथ और पैर की तरफ भी फैल सकता है। यह दर्द अक्सर रात में या बॉडी की जरा सी मूवमेंट के साथ बढ़ सकता है। रीढ़ की हड्डी, तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं का एक पेचीदा जाल-तंत्र होता है। स्लिप डिस्क तंत्रिकाओं और मांसपेशियों पर और इनके आस-पास असामान्य रूप से दबाव डाल सकती है। स्लिप डिस्क के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं;
शरीर के एक तरफ के हिस्से में लगातार दर्द रहना या स्तब्धता हो सकता हैं।
आपके हाथ या पैरों तक दर्द का फैलना हों सकता हैं।
रात के समय दर्द बढ़ जाना या कुछ गतिविधियों में ज़्यादा दर्द होना।
खड़े होने या बैठने के बाद दर्द का ज़्यादा हो जाना।
थोड़ी दूरी पर चलते समय दर्द होने लगना।
अस्पष्टीकृत मांसपेशियों की कमज़ोरी होना।
प्रभावित क्षेत्र में या डिस्क के हिस्सों में झुनझुनी, दर्द या जलन महसूस होना।
आपको उठते-बैठते वक्त दर्द महसूस होगा।
मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगेंगी और इफेक्टेड एरिया में झनझनाहट, दर्द और जलन भी महसूस हो सकती है।
रात में अचानक दर्द का बढ़ जाना।
📝Note:- दर्द के प्रकार अलग-अलग व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको दर्द से स्तब्धता या झुनझुनी होती है, जो आपकी मांसपेशियों को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है तो अपने आस-पास के चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
Reasons For Slip Disc ( स्लिप डिस्क के कारण )
स्लिप डिस्क की दिक्कत उस वक्त होती है, जब रीढ़ का आउटर रिंग कमजोर पड़ जाए या उसके फटने पर भीतरी हिस्सा बाहर निकल जाए। बढ़ती उम्र के साथ अक्सर ऐसा होता है। इसके अलावा, अचानक मुड़ने, घूमने या किसी चीज को उठाते वक्त भी स्लिप डिस्क हो सकता है। कई बार किसी भारी चीज को उठाते वक्त हमारी लोवर बैक में मोच आ जाती है, जिसकी वजह से स्लिप डिस्क हो जाता है। अगर आप ज्यादा वजन उठाने का कोई काम करते हैं तो इसका खतरा ज्यादा हों जाता है।
इसके अलावा, मोटापे से पीड़ित लोगों में भी स्लिप डिस्क का जोखिम ज्यादा रहता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि कमजोर मांसपेशियां और सुस्त लाइफस्टाइल भी कमर में स्लिप डिस्क के लिए जिम्मेदार हो सकता है। जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, स्लिप डिस्क का खतरा भी बढ़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ डिस्क अपने प्रोटेक्टिव वॉटर कंटेंट को खोने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप डिस्क बड़ी आसानी से अपनी जगह से खिसक सकती है। यह महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में ये दिक्कत ज्यादा देखने को मिलती है।
01 | Disc Erosion ( डिस्क का क्षरण )
हमारी पीठ हमारे शरीर के भार को बांटती है और रीढ़ की हड्डी में मौजूद डिस्क अलग-अलग गतिविधियों में लगने वाले झटकों से हमें बचाती हैं, इसीलिए वे समय के साथ कमज़ोर हो जाती हैं। डिस्क की बहरी कठोर परत कमज़ोर होने लगती है, जिससे उसमें उभार आता है और जिससे स्लिप डिस्क संभावना हो जाती है।
02 | Getting Hurt ( चोट लगना )
स्लिप डिस्क चोट लगने की वजह से भी हो सकती है। अचानक झटका या धक्का लगना या किसी भी भारी वस्तु को ग़लत ढंग से उठाने के कारण आपकी डिस्क पर असामान्य दबाव पड़ सकता है और जिससे आपको स्लिप डिस्क हो सकती है।
03 | Combination Of Erosion And Bruising ( क्षरण और चोट लगने का संयोजन )
ऐसा भी हो सकता है कि उम्र के साथ आपकी डिस्क का क्षरण इतना अधिक हो गया हो कि हलके से झटके (जैसे कि छींकना) के कारण भी आपको स्लिप डिस्क हो जाए।
04 | Disc Pressure ( डिस्क पर दबाव )
चोट लगना, अचानक झटका लगना और किसी वस्तु को गलत ढंग से उठाने पर डिस्क के ऊपर दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से भी स्लिप डिस्क हो सकता है।
Factors That increase the risk of slip disc ( स्लिप डिस्क के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक )
#01. Age ( उम्र )
35 से 50 वर्षों के बीच की उम्र के लोगों को स्लिप डिस्क होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
#02. Gender ( लिंग )
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को स्लिप डिस्क का जोखिम लगभग दुगना होता है।
#3. Weight ( वज़न )
शरीर का ज़्यादा वज़न आपके शरीर के निचले हिस्से में डिस्क पर तनाव का कारण बनता है।
#4. Business ( व्यवसाय )
जिन व्यवसायों में शारीरिक क्षमता की ज़्यादा आवश्यकता होती है, उन लोगों को स्लिप डिस्क होने का जोखिम ज़्यादा होता है।
#5. Genetics ( जेनेटिक्स )
कुछ लोगों को स्लिप डिस्क अनुवांशिक वजह से भी होती है।
Dangers Of Slip Disc ( स्लिप डिस्क के खतरे )
स्लिप डिस्क आपकी नर्व्स को हमेशा के लिए डैमेज कर सकता है। कुछ मामलों में स्लिप डिस्क हमारी लोवर बैक और पैरों में मौजूद कॉडा इक्विना नर्व के लिए दिक्कत खड़ी कर सकता है।
ऐसा होने पर आप आंत और ब्लैडर से नियंत्रण खो सकते हैं, इससे सैडल एनेस्थीसिया नाम का एक लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन भी हो सकता है, जिसमें आप आपकी जांघों के अंदरूनी भाग, पैरों के पीछे के हिस्से और मलाशय के आसपास महसूस करने की क्षमता खो सकते हैं। ये बहुत ज्यादा गंभीर भी हो सकता है, इसलिए डॉक्टर से इसकी जांच जरूर करवाएं।
How To Detect Slip Disc ( स्लिप डिस्क का कैसे पता लगाएं )
स्लिप डिस्क में सबसे पहले डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं। वे आपके दर्द और बेचैनी की वजह को जानने की कोशिश करेंगे। वे आपकी नसों के फंक्शन और मांसपेशियों को समझने का प्रयास करेंगे और वे देखते हैं कि इफेक्टेड एरिया में किस जगह छूने से आपको दर्द होता है। इसके अलावा, डॉक्टर एक्स-रे, सीटी स्कैन्स, एमआरआई स्कैन्स और डिस्कोग्राम्स के जरिए भी स्लिप डिस्क का पता लगा सकते हैं।
What Is The Treatment For Slip Disc? ( स्लिप डिस्क का क्या है इलाज? )
परंपरावादी चिकित्सक पद्धति से लेकर सर्जरी तक स्लिप डिस्क का इलाज संभव होता है। इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि रोगी की बेचैनी का स्तर क्या है? और डिस्क अपनी जगह से कितनी दूर स्लिप हुई है? कुछ लोगों को एक्सरसाइज प्रोग्राम के जरिए भी स्लिप डिस्क के दर्द से राहत पा सकते हैं, इसके लिए फीजियोथैरापिस्ट आपको सही एक्सरसाइज की सलाह दे सकता है। स्लिप डिस्क का उपचार आमतौर पर आपकी असुविधा और अनुभव के स्तर पर निर्भर करता है। इसके उपचार निम्नलिखित हैं; #01. अधिकांश लोग चिकित्सक द्वारा बताये गए ऐसे व्यायाम करके स्लिप डिस्क के दर्द को सुधार सकते हैं जो पीठ और आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। #02. केमिस्ट के पास मिलने वाली दर्द निवारक गोलियां लेने से और भारी चीज़ें न उठाने से स्लिप डिस्क के दर्द में राहत मिल सकती है। #03. यदि दर्द निवारक गोलियां आपके लक्षणों पर प्रभाव नहीं डालती हैं तो आपके डॉक्टर आपको कोई अन्य दवाएं लेने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे कि मांसपेशियों के ऐंठन को राहत देने के लिए दवाएं, दर्द को दूर करने के लिए मादक द्रव, गाबापेंटीन (Gabapentin) या ड्युलोकसेटाईन (Duloxetine) जैसी तंत्रिका के दर्द के लिए दवाएं। #04. अगर आपके लक्षण 6 सप्ताह में नहीं सुधरते हैं या आपकी मांसपेशियों की गतिविधियों पर स्लिप डिस्क का प्रभाव पड़ता है तो डॉक्टर आपको सर्जरी का उपाय भी दे सकते हैं। आपका सर्जन पूरे डिस्क को हटाए बिना केवल डिस्क के क्षतिग्रस्त भाग को निकाल सकता है, इसे माइक्रोडिसकेक्टमी (Microdiscectomy) कहा जाता है।
#05. अधिक गंभीर मामलों में, आपका डॉक्टर एक आपकी पहले वाली डिस्क को बदल कर एक कृत्रिम डिस्क लगा सकते हैं या डिस्क को निकालकर कशेरुकाओं को एक साथ मिला सकते हैं।
Do This Exercise Regularly ( रेगुलर करें ये एक्सरसाइज )
स्लिप डिस्क का जोखिम कम करने के लिए कुछ एक्सरसाइज हमें रेगुलर कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मोडिफाइड कोबरा, ब्रिज और प्लैंक जैसी एक्सरसाइज में इससे फायदा होता है। दूसरा, जिम में वेट ट्रेनिंग करते वक्त कंधे या कमर से ऊपर बहुत ज्यादा वजन नहीं उठाना चाहिए, इसका आप विशेष ध्यान रखें।
Diagnosis Of Slip Disc ( स्लिप डिस्क का परीक्षण )
स्लिप डिस्क का निदान निम्नलिखित तरीकों से होता है;
01. Physical Inspection( शारीरिक जाँच )
आपकी अनैच्छिक गतिविधियां, मांसपेशियों की मज़बूती, चलने की क्षमता और महसूस करने की क्षमता जांचने के लिए शारीरिक जाँच की जाती हैं।
02. X-Ray ( एक्स-रे )
एक्स-रे स्लिप डिस्क का निदान नहीं कर पाते हैं, लेकिन यह जांचने के लिए कि किसी अन्य वजह से पीठ दर्द नहीं है, एक्स-रे का इस्तेमाल किया जाता है।
3. CT Scan ( सीटी स्कैन )
एक सीटी स्कैनर कई अलग-अलग दिशाओं से एक्स-रे की एक श्रृंखला लेता है और उन्हें जोड़कर स्लिप डिस्क का निदान करता है।
4. MRI ( एमआरआई )
इसमें रेडियो तरंगों और एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके हमारे शरीर की आंतरिक संरचनाओं की छवियां बनाई जाती हैं। इस टेस्ट का उपयोग स्लिप डिस्क के स्थान की पुष्टि करने के लिए किया जा सकता है और यह देखने के लिए कि तंत्रिका किस प्रकार प्रभावित हो रही है।
5. Myelogram ( मयेलोग्राम )
इसमें एक डाई को रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ में इंजेक्ट किया जाता है और फिर एक्स-रे लिए जाते हैं। यह परीक्षण आपकी रीढ़ की हड्डी या नसों पर स्लिप डिस्क के कारण दबाव दिखा सकता है।
Types of Slipped Disc ( स्लिप डिस्क के प्रकार )
स्लिप डिस्क के मुख्य तीन प्रकार हैं;
Cervical Disc Slip ( सर्वाइकल डिस्क स्लिप )
Thoracic Disc Slip ( थोरैसिक डिस्क स्लिप )
Lumbar Disc Slip ( लंबर डिस्क स्लिप )
01 | Cervical Disc Slip ( सर्वाइकल डिस्क स्लिप )
सर्वाइकल डिस्क स्लिप गर्दन में होता है और पांचवीं व छठी (सी 5/6) और छठी व सातवीं (सी 6/7) कशेरुका (Vertebrae) के बीच होता है। इससे सिर के पिछले भाग, गर्दन, कंधे की हड्डी, बांह और हाथ में दर्द होता है।
02 | Thoracic Disc Slip ( थोरैसिक डिस्क स्लिप )
थोरैसिक डिस्क स्लिप रीढ़ की हड्डी के बीच के भाग में आस-पास से दबाव पड़ने पर होता है। हालांकि, इसकी होने की संभावनाएं बहुत कम रहती है। इससे पीठ के मध्य और कंधे के क्षेत्र में दर्द होता है और यह टी1 से टी12 कशेरुका (Vertebrae) के क्षेत्र को प्रभावित करता है। कभी-कभी दर्द स्लिप डिस्क क्षेत्र से गर्दन, हाथ, उंगलियों, पैरों, कूल्हे और पैर के पंजे तक भी जा सकता है।
03 | Lumbar Disc Slip ( लंबर डिस्क स्लिप )
लंबर डिस्क स्लिप रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है, अक्सर चौथी और पांचवीं कशेरुका (Vertebrae) के बीच या पांचवी कशेरुका और सेक्रम (कमर के पीछे की तिकोने हड्डी) के बीच। इससे पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे, जांघ, गुदा / जननांग क्षेत्र (पेरिनियल तंत्रिका के माध्यम से) में दर्द होता है और पैर या पैर की अंगुली में भी जा सकता है।
Stages of slip disc ( स्लिप डिस्क के चरण )
स्लिप डिस्क के मुख्य चार चरण हैं, जो प्रकार निम्न हैं -
#1. First Stage ( पहला चरण )
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, डिस्क का निर्जलीकरण शुरू हो जाता है, जिससे उसका लचीलापन कम हो जाता है और वह कमज़ोर हो जाती है।
#2. Second Stage ( दूसरा चरण )
वक्त के साथ डिस्क की रेशेदार परत में दरारें आने लगती हैं, जिससे उसके अंदर का द्रव या तो बाहर आने लगता है या उससे बुलबुला बन जाता है।
#3. Third Stage ( तीसरा चरण )
इस चरण में न्यूक्लिअस का एक भाग टूट जाता है, परन्तु फिर भी वह डिस्क के अंदर ही रहता है।
#4. Forth Stage ( चौथा चरण )
अंत में, डिस्क के अंदर का द्रव न्यूक्लियस पल्पोसस (Nucleus Pulposus) कठोर बाहरी परत से बाहर आने लगता है और रीढ़ की हड्डी में उसका रिसाव होने लगता है।
Slip Disc Protection ( स्लिप डिस्क से बचाव )
स्लिप डिस्क के जोखिम को कम करने के कुछ तरीके हैं;
शरीर का एक स्वस्थ वज़न बनाये रखें, जिससे कि आपकी पीठ के निचले हिस्से पर दबाव कम हो सकता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
धूम्रपान छोड़ें - निकोटीन आपकी पीठ में डिस्क को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों को अवशोषित करने की डिस्क्स की क्षमता को कम करता है और डिस्क सूख सकती हैं और भुरभुरी हो सकती हैं।
वज़न उठाने के लिए सही तकनीक का उपयोग करें न कि गलत तकनीक का।
खाली झुकने या टेढ़े बैठने से ही पीठ दर्द नहीं हो सकता लेकिन यदि पीठ पर चोट आई है तो गलत तरीके से बैठने से दर्द और बढ़ सकता है।
खड़े होने या चलने के दौरान अपने कान, कंधों, और कूल्हे एक सीधी रेखा में रखें।
बैठने पर अपनी पीठ को सुरक्षित रखें। अपनी पीठ और कुर्सी के बीच एक छोटा तकिया या तौलिये को गोल करके रखें।
नींद में अपनी पीठ को सही स्थिति में रखें। एक तरफ सोते समय घुटनों के बीच एक तकिया का उपयोग करें।
ज्यादा देर तक एक ही जगह पर न बैठें ।
रोजाना 10000 स्टेप्स चलने का प्रयास करें।
आप साइकिलिंग और स्विमिंग भी कर सकते हैं।
आवश्यकता से अधिक कार्य करने से बचें।
भारी सामान उठाने से बचें।
वजन को नियंत्रण में रखें।
रोजाना पोषण युक्त खाद्य पदार्थ खाएं।
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