कंप्यूटर का उपयोग लगभग सभी क्षेत्रों की लगभग सभी समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है। समस्याओं को हल करने की सरल प्रक्रिया को निम्न आकृति द्वारा दर्शाया जा सकता है।
उपरोक्त प्रदर्शित चित्र में, इस प्रतिनिधित्व का उपयोग किसी कंप्यूटर का उपयोग करके समस्याओं को हल करते समय की जाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं को परिभाषित करने के लिए किया जाता है क्योंकि वे हमें ग्राफिक रूप से शामिल व्यक्तिगत कार्यों को देखने में मदद करते हैं। लेकिन अलग-अलग प्रोग्राम में अलग-अलग प्रोसेस होते हैं। जब हम कंप्यूटर पर कोई प्रोग्राम लिखते हैं तो प्रोग्राम की प्रक्रिया को चरण दर चरण स्पष्ट करना आवश्यक होता है।
इस प्रकार एक प्रभावी कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार करने के लिए, पहले प्रोग्राम के तर्क ( Logic ) की योजना बनानी चाहिए, क्योंकि कंप्यूटर के पास अपनी कोई बुद्धि ( Intelligence ) नहीं होती है। यह एक निश्चित कार्य को बहुत तेज गति से ईमानदारी से करता है, लेकिन स्वयं का कोई निर्णय नहीं ले सकता है।
कंप्यूटर से दी जाने वाली सूचना और प्रोग्राम के आधार पर वह कार्य करता हैं, प्रोग्राम में निर्देशों का क्रम अथवा उनका आर्डर ही उस प्रोग्राम का लॉजिक होता हैं। कंप्यूटर पर प्रोग्राम लिखें जाने के दौरान प्रोग्रामर यदि कंप्यूटर के लिए कुछ स्टेटमेंट्स को छोड़ देता हैं अथवा स्टेटमेंट्स को गलत अनुक्रम में लिख देता हैं, तो कंप्यूटर द्वारा अशुद्ध परिणाम ( Wrong Result ) की गणना की जाएगी।
अत: कंप्यूटर पर प्रोग्राम लिखने के पूर्व हमें प्रोग्राम डिज़ाइन तकनीकों को समझ लेना आवश्यक होता हैं। यहाँ पर प्रोग्राम लॉजिक तैयार करने वाली महत्वपूर्ण विधियों अथवा प्रोग्राम डिज़ाइन टेक्निक्स निम्नानुसार हैं;
Algorithm ( एल्गोरिथ्म )
Flowchart ( फ्लोचार्ट )
हम अगले अध्याय में इन दोनों डिज़ाइन टेक्निक्स को एक -एक करके विस्तारपूवर्क समझेंगे।
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